For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manoj Nautiyal's Blog – March 2013 Archive (5)

सत्य सनातन व्याकुल होकर देख रहा अपने उपवन को

सुप्रभात मित्रों , आप सभी के अवलोकन हेतु सत्य सनातन पर लिखी अपनी कुछ पंक्तियाँ | सादर



सत्य सनातन व्याकुल होकर देख रहा अपने उपवन को

खर -पतवार सरीखे मजहब खा जायेंगे सुन्दर वन को ||

मैंने ही सारी वशुधा को एक कुटुंब पुकारा था

मेरी ही साँसों से निकला शांति पाठ का नारा था ||

दया धर्म मानवता जैसी सरल रीत मैंने सिखलाई

परहित धर्म आचरण शिक्षा मैंने ही सबको बतलाई ||

क्या हालत कर दी हे मानव भूल गया क्यूँ अंतर्मन को

खर -पतवार सरीखे मजहब खा जायेंगे सुन्दर…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on March 15, 2013 at 9:15am — 3 Comments

ब्रिज होली गीत

मित्रों , आज आप सभी के अवलोकन हेतु ..... ब्रिज मंडल की होली की एक छोटी सी झलकी | आशा है आपको यह होली गीत पसंद आएगा |



कान्हा ने होरी खेलन को टोली मस्त बनायी है 

ग्वाल ,बाल सब रंग डारे गोपी डरकर घबराई है 

ब्रज मंडल में बरसाने से राधा जी की सखियों ने 

रंग लायी भर भर पिचकारी धूम मचाने आई है ||



पकड़ो -पकड़ो - इसको श्याम बड़ा नटखट ये 

चुपके - छुपके बैठा गोपी संग घूंघट में 

घेर…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on March 5, 2013 at 3:51pm — 4 Comments

वो बात पूछती है अक्सर सहेलियों में

वो बात पूछती है अक्सर सहेलियों में 

क्या प्यार की लकीरें सच हैं हथेलियों में ||



आया जवाब ऐसा इजहार -ए- मुहोब्बत 

ना में जवाब ढूंढो हाँ का पहेलियों में ||



उसकी हसीन सूरत , कैसे बयाँ करूँ मै

हसीन चाँद लाखों जैसे जलें दियों में ||



गुस्ताख ये नजर भी हर सू उसे निहारे 

फूलों की शोखियों में रंगीन तितलियों में ||



नाराजगी तुम्हारी मासूमियत भरी हैं 

जैसे छुपी मुहोब्बत हो माँ की गालियों में…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on March 5, 2013 at 12:22am — 3 Comments

सुबह की ख्वाहिसों में रात की तन्हाईयाँ क्यूँ हैं

सुबह की ख्वाहिसों में रात की तन्हाईयाँ क्यूँ हैं

नहीं है तू मगर अब भी तेरी परछाईयाँ क्यूँ हैं ||

नहीं है तू कहीं भी अब मेरी कल की तमन्ना में

जूनून -ए - इश्क की अब भी मगर अंगड़ाइयां क्यूँ हैं ?

मिटा डाले सभी नगमे…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on March 1, 2013 at 2:00pm — 8 Comments

Monthly Archives

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
51 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
5 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश जी जुलाई में इंदौर आ रहा हूँ मिलत है फिर ।  "
8 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"      आदरणीय अजय जी ग़ज़ल के प्रयास केलिये आपको बधाई देता हूँ । ऐसा प्रतीत हो रहा है…"
8 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरीणीय नीलेश जी तरही मिसरे पर मुशाइरे के बाद एक और गजल क साथ उपस्थिति पर आपको बहुत बहुत मुबारक बाद…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"सोलह गाफ की मात्रिक बहर में निबद्ध आपकी प्रस्तुति के कई शेर अच्छे हुए हैं, आदरणीय अजय अजेय जी.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. अजय जी,क़ाफ़िया उन्मत्त तो सुना था उन्मत्ते पहली बार देखा...तत्ते का भी अर्थ मुझे नहीं पता..उतना…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)

लोग हुए उन्मत्ते हैं बिना आग ही तत्ते हैंगड्डी में सब सत्ते हैं बड़े अनोखे पत्ते हैंउतना तो सामान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"क्या अंदाज है ! क्या मिजाज हैं ! आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नीलेश…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service