For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog – March 2016 Archive (9)

चिप्स पापड़ में ठनी...

गज़ल....बह्र----२१२२, ११२२,  ११२२,  २२

आम के बाग में महुआ से मिलाया उसने.

मस्त पुरवाई हसीं फूल सजाया उसने.

शुद्ध महुआ का प्रखर ज्ञान पिलाया उसने'

संग होली का मज़ा प्रेम सिखाया उसने.

ज़िन्दगी दर्द सही गर्द छिपा कर हॅसती,

चोट गम्भीर भले घाव सिलाया उसने.

ताल-नदियों में अड़ी रेत झगड़ती रहती,

लाज़-पानी के लिये मेघ बुलाया उसने.

वक्त की खार हवा घात अकड़ पतझड़ सब,

होलिका खार की हर बार जलाया…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 26, 2016 at 12:30am — 4 Comments

होलिका दबंग है

कलाधर छंद......होलिका दबंग है

विधान---गुरु लघु की पंद्रह आवृति और एक गुरु रखने का प्राविधान है. अर्थात २, १ गुणे १५  तत्पश्चात एक गुरु रखकर इस छंद की रचना की जाती है.   इस प्रकार इसमें इकतीस वर्ण होते हैं.  संदर्भ अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद की पुस्तक " छंद माला के काव्य-सौष्ठव"  में ऐसे अनेकानेक सुंदर छंद विद्यमान हैं..

यथा----…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 25, 2016 at 12:00pm — 4 Comments

हंसीं शशि मलाला......

गज़ल.....१२२  १२२  १२२  १२२

हमारे घरों का उजाला लिये जो.

हंसीं शशि मलाला सितारा लिये जो.

 

लड़ी गोलियों से बिना खौफ खाये

खुले आसमां का हवाला लिये जो.

 

दुआ यदि सलामत कयामत भी हारे

ये तारिख बलन्दी की माला लिये जो.

 

चुरा कर खुशी ज़िन्दगी लूट लेते-

उन्हीं से मुहब्बत–फंसाना लिये जो.

 

ये होली-दिवाली मिले ईद-सत्यम

हंसी फाग समरस तराना लिये जो.

सुखनवर....केवल प्रसाद…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 23, 2016 at 11:58am — 9 Comments

एक गज़ल....होली पर

एक गज़ल....होली पर
 
इसलिये प्यार है.
अपनी सरकार है.
 
कहता बदमाश पर,
करता सत्कार…
Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 23, 2016 at 10:31am — 2 Comments

पीढ़ियां.....

पीढ़ियां !

सीढ़ियों पर चढ़ कर

पीढ़ियां !

थूंकती आसमान पर

धरा आर्द्रवश सहेज लेती

नदियों के कछार

दलदल - सदाबहार वन

आमंत्रित मेघ

बरसते नहीं.

पीढ़ियां !

असमय कड़क कर चमकतीं

गिरती बिजलियां

जलते घास-पूस के छप्पर

ढह जाते दुर्ग

सम्मान के...

संस्कृति के.

बिखरे अवशेष कराहते

खण्डहर में उग आते बांस

सीढ़ियां बनने को उत्सुक

पीढ़ियां उत्साह में फिसल…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 20, 2016 at 8:30am — No Comments

हारे हरि का नाम

सावन के दिन झर गये, ठरी पूस की रात.

रंग बसंती रो रही, पतझड़ करते घात.१

 

आंखों का सावन कभी, हुआ न तन का मीत.

कहें बसंती-फाग रस, पतझड़ जग की रीत.२

 

वन उपवन नद ताल को, देकर दु:ख अतीव.

दशा दिशा श्रुति ज्ञान सब, बिगड़े मौसम जीव.३

 

सरोकार रखते नहीं, जो समाज के साथ.

श्वेत वस्त्र उनके मगर, रंगे रक्त से हाथ.४

तंत्र मंत्र हर यंत्र जब, हारे हरि का नाम.

कृषक छात्र जन आज खुद, हुये कृष्ण-बलराम.५

राम…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 14, 2016 at 9:00pm — 6 Comments

खिले जो फूल सेंभल के ...

नवगीत........सेंभल के फूल

खिले जो फूल सेंभल के

रहे वह मात्र दस दिन के

वो दुनियां देख न पाये

अहं के झूठ के साये

लड़े हर वक्त मौसम से

हुये बस धूल कण-कण के.............खिले जो फूल सेंभल के 

रुई की नर्म फाहें उड़

गगन को भेदना चाहें

हवा रुख को बदल देती

उगाती रक्त की बांहें.

पकड़ कर ठूंसते-पीटें

लिहाफों में भरें धुन के...............खिले जो फूल सेंभल के 

हवाओं से भरे फूले

निशक्तों…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 8, 2016 at 10:30pm — 6 Comments

प्रेम की वर्षा सूखी...

कुण्डलिया

धुंआ हवा को छेड़ती, पानी करे पुकार.

धरती निशदिन लुट रही, अम्बर है लाचार.

अम्बर है लाचार, प्रेम की वर्षा सूखी.

सरिता नदिया ताल, रेत में उलझी रूखी.

सूरज रखता खार, करें क्या सत्यम-फगुवा.

मानव अति बेशर्म, उड़ाता खुद…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 5, 2016 at 9:55pm — No Comments

उसी से दिल्लगी......

गज़ल............उसी से दिल्लगी...

बहरे रुक्न.....हज़ज़ मुसम्मन सालिग

दिखा कर रोशनी जिसने किया है सृष्टि को पावन.

सघन तम में बसी जिसने किया है सृष्टि को पावन.

रही चर्चा यही जिसने किया है सृष्टि को पावन.

नहीं मिलती फली जिसने किया है सृष्टि को पावन.

हवाओं में, गुबारों में, समन्दर में वही साया

कहे मुझको परी जिसने किया है सृष्टि को पावन.

दिवाकर सांझ से मिलकर सितारे रात से कहते

वही सबसे बली जिसने किया है…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 3, 2016 at 10:12pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service