Added by Harish Bhatt on March 28, 2012 at 12:48pm — 6 Comments
ये कहाँ आ गए हम
यूँ साथ चलते-चलते….
कभी मरते थे
एक-दूजे पर
आज मार रहे
एक-दूजे को
कभी कहते थे
हिन्दू- मुस्लिम- सिख- ईसाई
आपस में है भाई-भाई
कैसे बदलती है सोच
यह भी देख रहे
गैरों से लड़ते-लड़ते
अपनों से लड़ बैठे
शान्ति की तलाश में
अमन को खो…
Added by Harish Bhatt on March 25, 2012 at 12:02pm — 2 Comments
तेरी खामोशी
ये कहां ले आई मुझे
तेरी एक
हां के इंतजार में
बदल गए
रास्ते जिंदगी के
जाना था कहां
पहुंच गए यहां
तेरी राह
देखते-देखते
इरादे पस्त हो गए
अब तो यह आलम है
दिल रोता है
शब्द निकलते है
दुनिया हंसती है
और
कहती है…
Added by Harish Bhatt on March 23, 2012 at 11:50am — 5 Comments
दुनिया बहुत मतलबी है
एक दोस्त की तलाश में
कदम-कदम पर खाया है धोखा
गिर-गिर कर संभला हूं
कैसे करूं यकीन अब तुझ पर
अब तो खुद से ही लगता है डर
कही मैं भी तो मतलबी नहीं
सोचता हूं जब एकांत में
समझ आता है कुछ-कुछ
मैं भी हूं मतलबी
क्योंकि मतलबी दुनिया में
मैं कोई खुदा तो नहीं
आखिर…
Added by Harish Bhatt on March 22, 2012 at 2:04pm — 5 Comments
मेरी चाहत जवां होती है
तेरी हां के इंतजार में
तेरा आना, तेरा जाना
कर देता है बेकरार
मेरी चाहत जवां होती है
तेरी हां के इंतजार में
दिन पर दिन
रात दर रात
गुजरती जा रही
आंखों से नींद
दिल से चैन
गायब हो जाते रहे
अब तो हाल यह है कि
मेरी चाहत भी
मुर्दा होती…
Added by Harish Bhatt on March 20, 2012 at 11:31am — 3 Comments
छलक जाते है आंसू
मेरी आंखों से
जब देखता हूं तुमको
बंद आंखों से
दिल होता है बैचेन
जब सोचता हूं
तुम्हारे बारे में
काश!
न देखा होता तुमको
न जाना होता तुमको
न आते दिल के करीब
न होता प्यार तुमसे
न होते जुदा हम
तब होती
एक ही बात
तुम भी रहती…
Added by Harish Bhatt on March 15, 2012 at 1:56am — 3 Comments
सोचा था
तेरी याद के सहारे
जिंदगी बीता लूंगा
अब न तेरी याद आती है
न ही जिंदगी के दिन ही बचे
जो बचे भी उनमें क्या तेरे मेरे
क्या सुबह, क्या शाम
बस एक ही तमन्ना है
जहां भी रहो मुझे याद करना
क्योंकि तुम याद करोगे तो
दुनिया से जाते वक्त गम न होगा
क्योंकि तुम, तुम हो और हम, हम
राहें जुदा हो गई तो क्या
कभी मिलकर चले थे मंजिल की ओर
अब तो सोच कर भी सोचता हूं
क्यों मिले थे हम और क्यों बिछड़े
सोचता हूं
तेरी याद को ही…
Added by Harish Bhatt on March 12, 2012 at 2:49am — 6 Comments
कौन कहता है जन्नत इसे,
हम से पूछो जो घर में फंसे।
न हिफाजत, न इज्जत मिली,
कर- कर कुर्बानी हम मर गए।
दुश्मनों की जरूरत किसे,
जुल्म अपनों ने ही हम पे किए।
हमने हर शै संवारी मगर,
खुद हम बदरंग होते गए।
अपने हाथों बनाया जिन्हें,
हाथ उनके ही हम पर उठे।
घर के अंदर भी गर मिटना है,
तो संभालों ये घर, हम…
Added by Harish Bhatt on March 10, 2012 at 1:44pm — 5 Comments
एक बात समझ में नहीं आती है कि जब हमारी हैसियत नहीं होती तो क्यों दूसरे परिवार की प्यारी सी बिटिया को अपने घर में बहू बनाकर लाते है. क्या हम इतने निकम्मे, लूले-लंगडे हो गए है कि बेटे व परिवार की सुख-सुविधा की वस्तुओं को एकत्र करने की नियत के साथ दूसरे से धन ऐंठने के लिए उनकी प्यारी सी बिटिया को विवाह मंडप में अग्नि के सात फेरों के बाद अपने घर ले आते है. फिर उस परिवार की मजबूरी बन जाता है कि वह अपनी बिटिया की खुशी के लिए वह सब कुछ करे, जो हम चाहते है. क्योंकि हम तो पहले से ही इतने कंगाल हैं,…
ContinueAdded by Harish Bhatt on March 8, 2012 at 12:04pm — 3 Comments
आपको और आपके परिवार को रंगों के त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
हम खुशनसीब है कि जिंदगी ने हमको अपने गिले-शिकवे दूर करने का एक और मौका दिया है। माना जाता है कि रंगो की होली में गिले-शिकवे बह जाते है। भले ही दिखावे के लिए ही सही, लोग एक-दूसरे के गले मिलकर होली की बधाई के साथ-साथ अपने को पाक-साफ बताते है, तो इसमें क्या बुरा है। आखिर होली का मकसद ही है बैर-भाव भुला कर प्यार से एक-दूसरे के गले लग जाना। वैसे भी दिखावे का जमाना है, तो दिखाने के लिए ही सही, कुछ बुराई तो कम होगी ही हमारे…
ContinueAdded by Harish Bhatt on March 6, 2012 at 9:43am — 1 Comment
हर सोच, हर कल्पना, हर विचार पर हजारों पन्ने लिखे जा चुके है. कुछ लोगों की दुष्ट मानसिकता की बदौलत आज तक भी हम गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह नहीं उबर पाए है. समय के साथसाथ गुलामी की परिभाषा भी बदल गई. पहले विदेशियों का कब्जा होने से हम गुलाम थे. उनको खदेड़ा, तो अब यहां धार्मिक, राजनैतिक ताकतों के गुलाम हो गए. जो इनकी सीमाओं से बाहर रहने का साहस दिखाए, वह समाज के अयोग्य नागरिकों में शामिल कर दिया जाता है. बहरहाल बात यह है कि कुछ लोग अपने जीवनकाल में वह मुकाम हासिल करते है, जिनके आचरण को आदर्श…
ContinueAdded by Harish Bhatt on March 5, 2012 at 1:32pm — 3 Comments
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