फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फेलुन
लोग हैरान थे,रिश्ता सर-ए-महफ़िल बाँधा
उसने जब अपनी रग-ए-जाँ से मेरा दिल बाँधा
हर क़दम राह मलाइक ने दिखाई मुझ को
मैंने जब अज़्म-ए-सफ़र जानिब-ए-मंज़िल बाँधा
जितने हमदर्द थे रोने लगे सुनकर देखो
अपने अशआर में जब मैंने ग़म-ए-दिल बाँधा
जल गये जितने सितारे थे फ़लक पर यारो
अपनी ज़ुल्फ़ों में जब उसने मह-ए-कामिल बाँधा
शुक्र तेरा करें किस मुंह से…
ContinueAdded by Samar kabeer on March 27, 2018 at 12:31pm — 35 Comments
मफ़ऊल मफ़ाईल मफ़ाईल फ़ऊलुम
सोई हुई ख़्वाहिश को जगाना ही नहीं था
ख़्वाबों में मेरे आपको आना ही नहीं था
बाग़ी है अगर तुझ से तो अब कैसी शिकायत
औलाद का हक़ तुझको दबाना ही नहीं था
वो होके पशेमान यही बोल रहे हैं
मासूम पे इल्ज़ाम लगाना ही नहीं था
सब,झूट यही कह के यहाँ बोल रहे थे
सच बोलने वालों का ज़माना ही नहीं था
बहरों की ये बस्ती है "समर" जान गये थे
फिर तुमको यहाँ शोर…
ContinueAdded by Samar kabeer on March 19, 2018 at 2:00pm — 37 Comments
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