जां कभी ये जहान लेता है
और कभी आसमान लेता है
सब्र का इम्तेहान लेता है
हिज़्र का पल भी जान लेता है
रिंद आबे हयात पी आया
और वाइज़ बयान लेता है
लोग कहते हैं सर कटा ले तू
और वो बात मान लेता है
पैरवी कर के वो लुटेरों की
रोज मुफ़लिस की जान लेता है
लो ग़ज़ल बन गयी ये कहते हैं
जब वो कहने की ठान लेता है
वो मुझे राज़दार है कहता
और शमशीर तान लेता है
धार आ जाती है हवाओ में
ख्वाब जब भी उड़ान…
Added by भुवन निस्तेज on March 30, 2014 at 12:00am — 10 Comments
बस्ते में रोटी भर लाया
बच्चा भी ये क्या घर लाया
होठों पे खुशियाँ धर लाया
वो बोले किसकी हर लाया
सोने चांदी सब नें मांगे
वो चिड़ियों जैसे पर लाया
इक तूफानी झोंका आया
जाने किसका छप्पर लाया
दुत्कारा लोगों नें उसको
जो धरती पे अम्बर लाया
काम के इंसा मैंने मांगे
वो बस्ती से शायर लाया
भुवन निस्तेज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by भुवन निस्तेज on March 26, 2014 at 2:30pm — 9 Comments
रह गयी कुछ है यही ग़र रह गयी
घर की अस्मत घर के बाहर रह गयी
ज़िन्दगी तक उसकी होकर रह गयी
अपने हिस्से की ये चादर रह गयी
वो मुझे बस याद आया चल दिया
शाम मेरी याद से तर रह गयी
तृप्ति ने बोला बकाया काम है
और तृष्णा घर बनाकर रह गयी
नाव जब डूबी तो बोला नाख़ुदा
थी कमी सूई बराबर रह गयी*
बन गई मेरी ग़ज़ल वो आ गया
कुछ खलिश फिर भी यहाँ पर रह गयी
भुवन निस्तेज
(मौलिक व…
ContinueAdded by भुवन निस्तेज on March 25, 2014 at 11:00pm — 16 Comments
अपनों नें जो मुझपर फेंका पत्थर है
वो गैरों के फूलों से तो बेहतर है
दुनिया समझी थी वो कोई शायर है
जिसका दामन मेरे अश्कों से तर है
ऐ खुशियों तुम सावन बनकर मत आना
पिछली बारिश ने तोडा मेरा घर है
भूखा मंदिर जायेगा क्या पायेगा
रोटी बन पाता क्या संगेमरमर है
धरती सौ हिस्सों में बाँटो होगा क्या
पक्षी का तो आना जाना उड़कर है
चूल्हा जलने से रोको इस बस्ती में
इस बस्ती में आंधी आने का…
ContinueAdded by भुवन निस्तेज on March 19, 2014 at 2:00pm — 18 Comments
ज्यों जवां ये चांदनी होने लगी
त्यों सुबह की सुगबुगी होने लगी
जब समंदर सी नदी होने लगी
साहिलों सी ज़िन्दगी होने लगी
आदमी में हो न हो रूहानियत
आदमीयत लाज़मी होने लगी
तितलियों को मिल गयी जब से भनक
बाग़ में कुछ सनसनी होने लगी
यार ने आदी बनाया इस क़दर
हर नए ग़म से ख़ुशी होने लगी
आँधियों से रूह कांपी रेत की
पर्वतों में दिल्लगी होने लगी
फिर मुसाफ़िर रासता मंजिल…
Added by भुवन निस्तेज on March 14, 2014 at 9:30pm — 8 Comments
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