For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's Blog – March 2016 Archive (3)

नव गीत

धूसरित था मलिन-मुख हम स्वच्छ दर्पण कर रहे

झूठ को अपना लिया हर सत्य से अब डर रहे  

 

अवधान तुमने किया था

हमने उसे माना नहीं

पाखण्ड यौवन का सदा

उद्दाम था जाना नही

पत्र अब इस विटप-वपु के सब समय से झर रहे

 

चेतना या समझ आती

है मगर कुछ देर से

बच नहीं पाता मनुज

दिक्-काल के अंधेर से

जो किया पर्यंत जीवन अब उसी को भर रहे

 

हम अकेले ही नहीं 

संतप्त है इस भाव में

जल रहा है अखिल…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 22, 2016 at 7:50pm — 12 Comments

पाषाण होने तक

विद्रोहिणी सी बन गयी थी मैं

मेरी कुंठा और संत्रास 

कैसे पनपे

नहीं जान पाई मै

और कितना असत्य था

उनका दुराग्रह   

यह तब मैं न जानती थी

सच पूछो तो

नहीं चाह्ती थी जानना भी

कोई समझाता यदि

तो आग लग जाती वपुष में

अरि सा लगता वह

पर कोई देता यदि प्रोत्साहन

मुझे उस गलत दिशा में जाने का

तो वह लगता सगा सा

हितैषी और शुभेच्छु

संसार का सबसे प्रिय जीव  

क्योंकि तब थी मैं  

उसके प्यार…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 7, 2016 at 8:13pm — 3 Comments

अनुराग

 छंद – वंशस्थ विलं

जगण तगण जगण रगण

121  221  121  212

 

जहाँ मनीषी प्रमुदा रहें सभी

जहां सुभाषी मधुरा प्रमत्त हों

जहां सुधा हो सरसा प्रवाहिता

वहां सदा है अनुराग राजता

 

उदार सारल्य स्वभाव में बसे

रहे मुदा निश्छलता नवीनता

सुकांति में हो कमनीयता घनी

वहां सदा है अनुराग राजता

 

वियोग में भी हिय की समीपता

नितांत तोषी मनसा समर्पिता

जहाँ शुभांगी पुरुषार्थ रक्षिता

वहां सदा है अनुराग…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 3, 2016 at 9:30pm — 2 Comments

Monthly Archives

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service