होरी खेलें लखनौआ , गंज माँ होरी खेलें लखनौआ
कुर्ता पहिन पजामा पहनिन, सुरमा लग्यो निराला
अच्छे-अच्छे रंग छांड़ि के रंग पुताइन काला
खाक छानि कै गली-गलिन कै मस्त लगावें पौआ
गंज माँ होरी खेलें लखनौआ
चौराहन पर मटकी फोरें भर मारें पिचकारी
फगुआ गावैं बात-बात पर मुख से निकसै गारी
भौजी तो हैं भारी भरकम देवर हैं कनकौआ
गंज माँ होरी खेलें लखनौआ
गली -मुहल्ले के लड़के हैं सब लखनौआ बाँके
प्यासी आँखों से तिरिया के अंतर्तन…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 2, 2018 at 7:17pm — 5 Comments
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