For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kanta roy's Blog – April 2015 Archive (2)

भोपाली चौक की गलियाँ (दास्तान -ऐ-भोपाल)

आज भोपाल के चौक में रौनक जरा कम नजर आ रही थी । सारे दुकानदार सहमे से अतिक्रमण दस्ता के तरफ देख रहे थे । अफरा तफरी का माहौल देख कर वहां खरीदारी करने आये लोग परेशान हो इधर उधर हो रहे थे ।

"अरे भाई , इनको क्या परेशानी है ...? अगर दुकानदार समानों को सजाकर नही दिखाये तो ग्राहक को भी कैसे समझ में आये । " -- बेहद परेशान अजीज भाई कह उठे थे ।

"चौक के अंदर तक गाडियों का प्रवेश वर्जित कर दे , तो जरा बात भी बने । नाहक ही यह प्रसाशन , ग्राहक और दुकानदार दोनों को परेशान कर रहे है । "--- वहीं…

Continue

Added by kanta roy on April 18, 2015 at 9:30am — 14 Comments

लघुकथा : केंचुल आवरण

हरिद्वार से कुल गुरू का आगमन क्या हुआ ...अलका के तो इसबार होश ही फाख्ता हो गये ।

तीन लडकियों को जनने का दर्द कोख में फिर जाग उठा था ।

कुलगुरु के अलौकिक सानिध्य ही उसके पुत्र प्राप्ति का एकमात्र विकल्प सुन कर वह स्तब्ध थी ।

पति की झूकी हुई नजर देख कर अलका का अंतर्मन कराह उठा था ।

सती सावित्री सीता ... माँ दुर्गा ..माँ चंडिका रूप धर कर दुःसाध्य - कार्य करने को आज आतुर थी ।

धर्म के आड़ में समस्त अनाचार जग जाहिर हो गये । ...... खोखले रिश्ते अपने केंचुल आवरण से…

Continue

Added by kanta roy on April 17, 2015 at 10:30pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. शिज्जू भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है ..धर्म-संकट को बेहतरीन ढंग से पेश किया है आपने .. लोग तो लड़ते…"
1 minute ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. लक्ष्मण जी,आ. तिलकराज सर की विस्तृत टिप्पणी के बाद कहने को अधिक कुछ रह नहीं गया है फिर भी यह…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"खुद ही अपनी ज़िन्दगी दुश्वार भी करते रहे दोस्तों से गैर सा व्यवहार भी करते रहे धर्म-संकट से बचाना…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल में रदीफ़, काफ़िया और बह्र की दृष्टि से प्रयास सधा हुआ है। इसे प्रशंसनीय अभ्यास माना जा…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर , अभिवादन आदरणीय।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"नफ़रतों की आँधियों में प्यार भी करते रहे।शांति का हर ओर से आधार भी करते रहे।१। *दुश्मनों के काल को…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जय-जय"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"स्वागतम"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service