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Tasdiq Ahmed Khan's Blog – April 2019 Archive (4)

ग़ज़ल _वो कुछ न इसके सिवा करेंगे

ग़ज़ल _(वो कुछ न इसके सिवा करेंगे)

(मफा इला तुन _मफा इला तुन)

वो कुछ न इसके सिवा करेंगे l

बना के अपना दगा करेंगे l

किसी से हो जाए उनको उलफत

यही ख़ुदा से दुआ करेंगे l

सितम जफ़ा जिनकी ख़ास फितरत

वो कह रहे हैं वफ़ा करेंगे l

कभी हमें आज़मा के देखो

ये दिल है क्या जाँ फिदा करेंगे l

नज़र पे पहरे अगर लगे तो

खयाल में हम मिला करेंगे l

लगा के इलज़ामे बे…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 30, 2019 at 1:14pm — 6 Comments

ग़ज़ल _(रहबरी उनकी मुझको हासिल है)

(फाइ ला तुन _मफा इलुन _फ़ेलुन)

रहबरी उनकी मुझको हासिल है l

अब भला किसको फिकरे मंज़िल है l

दे सफ़ाई न क़त्ल पर वर्ना

लोग समझेंगे तू ही क़ातिल है l

उस हसीं से गिला है सिर्फ यही

वो वफ़ाओं से मेरी गाफिल है l

दोस्तों से वो राय लेते हैं

सिर्फ़ उलफत में ये ही मुश्किल है l

ढूँढ कर लाए तो कोई ऎसा

मेरा महबूब माहे कामिल है l

जो बचाता है बदनज़र से उन्हें

उनके रुखसार का ही वो तिल है…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 15, 2019 at 12:00pm — 11 Comments

ओ बी ओ को 9वीं सालगिरह की सौगात

ओ बी ओ को 9वीं सालगिरह की सौगात

ग़ज़ल (फाइलुन _फाइलुन _फाइलुन _फाइलुन /फाइलात)

मेरा दिल दे रहा है दुआ ओ बी ओ l

तू फले फूले यूँ ही सदा ओ बी ओ l

कोई सीखे कथा, छंद या शायरी

इन सभी का है तू रहनुमा ओ बी ओ l

भाई सौरभ हों राना या मिथलेश हों

इनके दम से तू आगे बढ़ा ओ बी ओ l

सीखने का दिया मंच तूने हमें

क्यूँ न तेरा करूँ शुक्रिया ओ बी ओ l

आज ख़ुश हैं बहुत यूँ नहीं योगराज

गोद में इनकी फूला फला ओ बी…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2019 at 12:01pm — 10 Comments

ग़ज़ल (यही ज़माने को खल रहा है )

ग़ज़ल (यही ज़माने को खल रहा है )

(मफा इलातुन _मफा इलातुन)

यही ज़माने को खल रहा हैl

वो मेरे हम राह चल रहा है l

वो हैं मुखातिब तो मुझसे लेकिन

कलेजा यारों का जल रहा है l

नज़र में है सिर्फ उसके मंज़िल

जो गिरते गिरते संभल रहा है l

रखें निगाहों पे कैसे काबू

वो सामने से निकल रहा है l

बदल के शीशा है फायदा क्या

तेरा भी अब हुस्न ढल रहा है l

खयाल में आ रहा है दिलबर

न यूँ…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 1, 2019 at 8:25pm — 4 Comments

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