ग़ज़ल _(वो कुछ न इसके सिवा करेंगे)
(मफा इला तुन _मफा इला तुन)
वो कुछ न इसके सिवा करेंगे l
बना के अपना दगा करेंगे l
किसी से हो जाए उनको उलफत
यही ख़ुदा से दुआ करेंगे l
सितम जफ़ा जिनकी ख़ास फितरत
वो कह रहे हैं वफ़ा करेंगे l
कभी हमें आज़मा के देखो
ये दिल है क्या जाँ फिदा करेंगे l
नज़र पे पहरे अगर लगे तो
खयाल में हम मिला करेंगे l
लगा के इलज़ामे बे…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on April 30, 2019 at 1:14pm — 6 Comments
(फाइ ला तुन _मफा इलुन _फ़ेलुन)
रहबरी उनकी मुझको हासिल है l
अब भला किसको फिकरे मंज़िल है l
दे सफ़ाई न क़त्ल पर वर्ना
लोग समझेंगे तू ही क़ातिल है l
उस हसीं से गिला है सिर्फ यही
वो वफ़ाओं से मेरी गाफिल है l
दोस्तों से वो राय लेते हैं
सिर्फ़ उलफत में ये ही मुश्किल है l
ढूँढ कर लाए तो कोई ऎसा
मेरा महबूब माहे कामिल है l
जो बचाता है बदनज़र से उन्हें
उनके रुखसार का ही वो तिल है…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 15, 2019 at 12:00pm — 11 Comments
ओ बी ओ को 9वीं सालगिरह की सौगात
ग़ज़ल (फाइलुन _फाइलुन _फाइलुन _फाइलुन /फाइलात)
मेरा दिल दे रहा है दुआ ओ बी ओ l
तू फले फूले यूँ ही सदा ओ बी ओ l
कोई सीखे कथा, छंद या शायरी
इन सभी का है तू रहनुमा ओ बी ओ l
भाई सौरभ हों राना या मिथलेश हों
इनके दम से तू आगे बढ़ा ओ बी ओ l
सीखने का दिया मंच तूने हमें
क्यूँ न तेरा करूँ शुक्रिया ओ बी ओ l
आज ख़ुश हैं बहुत यूँ नहीं योगराज
गोद में इनकी फूला फला ओ बी…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2019 at 12:01pm — 10 Comments
ग़ज़ल (यही ज़माने को खल रहा है )
(मफा इलातुन _मफा इलातुन)
यही ज़माने को खल रहा हैl
वो मेरे हम राह चल रहा है l
वो हैं मुखातिब तो मुझसे लेकिन
कलेजा यारों का जल रहा है l
नज़र में है सिर्फ उसके मंज़िल
जो गिरते गिरते संभल रहा है l
रखें निगाहों पे कैसे काबू
वो सामने से निकल रहा है l
बदल के शीशा है फायदा क्या
तेरा भी अब हुस्न ढल रहा है l
खयाल में आ रहा है दिलबर
न यूँ…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 1, 2019 at 8:25pm — 4 Comments
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