1
गिरते – गिराते
उठा-पटक
शातिर चालें
शह और मात
जूतम पैजार
चमकाते हथियार
भड़काते विचार
हो जाइए तैयार
फिर गरम है
चुनावी बाज़ार ।
2
चापलूसों की फौज
शहीदों का अपमान
गिरती इंसानियत
बेचते ईमान
लड़ते –लड़ाते
शोर मचाते
लक्ष्य है जीत।
3
झूठ पे झूठ
आरोप प्रत्यारोप
काम का दिखावा
बातों से…
ContinueAdded by नादिर ख़ान on April 9, 2014 at 9:00pm — 7 Comments
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