2122 2122 2122
लंग सा जो भंग पैरों पर खड़ा है
हाँ, सहारा दो तो वो भी दौड़ता है
व्यक्तिगत सत्यों की सबको बाध्यता है
कौन कैसा क्यों है, ये किसको पता है
दानवों सा इस जगह जो लग रहा है
सच कहूँ ! कुछ के लिये वो देवता है
सत्य सा निश्चल नही अब कोई आदम
मौका आने पर स्वयम को मोड़ता है
आप अपनी राह में चलते ही रहिये
बोलने वाला तो यूँ भी बोलता है
उनकी क़समों का भरोसा…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on April 23, 2014 at 5:34pm — 36 Comments
2122 1212 22 /112
आज फिर से बवाल लेते हैं
प्रश्न कोई उछाल लेते हैं
प्यास का हल कोई हमीं करलें
वो समझने में साल लेते हैं
उनको आँखों में सिर्फ अश्क़ मिले
वो जो सब का मलाल लेते हैं
तेग वो ही चलायें, खुश रह लें
आदतन, हम जो ढाल लेते हैं
आज कश्मीर पर हो हल कोई
आओ सिक्का उछाल लेते हैं
भूख, उनके खड़ी रही दर पर
रिज़्क जो- जो हलाल लेते…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on April 18, 2014 at 5:00pm — 40 Comments
2122 2122 2122 212
क्या मुआफी मांग इंसा यूँ भला हो जायेगा
एक अच्छाई से दानव, देवता हो जायेगा ?
खूब घेरी चाँद को , बेशक हज़ारों बदलियाँ
क्या लगा ये ? चाँद भी अब साँवला हो जायेगा
जिस तरह से धूप अब अठखेलियाँ करने लगी
सच अगर तू देख लेगा , बावला हो जायेगा
थोड़ा डर भी है सताता इस जमे विश्वास को
पर कभी लगता, चमन फिर से हरा जो जायेगा
हौसलों को तुम अमल में भी कभी आने तो…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on April 15, 2014 at 5:00pm — 18 Comments
1222 1222 1222 1222
कहीं कुछ दर्द ठहरा सा , कहीं है आग जलती सी
कभी सांसे हुई भारी , कभी हसरत मचलती सी
कभी टूटे हुये ख़्वाबों को फिर से जोड़ता सा मै
कभी भूली हुई बातें मेरी यादों में चलती सी
कभी होता यक़ीं सा कुछ , कहीं कुछ बेयक़ीनी है
तुझे पाने की उम्मीदें कभी है हाथ मलती सी
कभी महफिल में तेरी रह के मै तनहा सा रहता हूँ
कभी तनहाइयों में संग पूरी भीड़ चलती सी
कभी बेबात ही…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on April 10, 2014 at 4:00pm — 43 Comments
2122 2122 2122 2122
चद्दरों से, सिर्फ़ कचरों को दबाया जा रहा है
साफ सुथरा इस तरह खुद को जताया जा रहा है
लूट के लंगोट भी बाज़ार में नंग़ा किये थे
फिर वही लंगोट दे हमको मनाया जा रहा है
रोशनी सूरज की सहनी जब हुई…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on April 5, 2014 at 4:00pm — 31 Comments
Added by गिरिराज भंडारी on April 1, 2014 at 10:30am — 32 Comments
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