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Chhaya Shukla's Blog – May 2017 Archive (3)

दोहे

जीवन हमको बुद्ध का , देता है सन्देश |

रक्षा करना जीव की , दूर रहेगा क्लेश ||1||

भोग विलास व नारियां, बदल न पाई चाल |

योग बना था संत का, छोड़ दिया जंजाल ||2||

मन वीणा के तार को, कसना तनिक सहेज |

ढीले से हो बेसुरा , अधिक कसे निस्तेज ||3||

बंधन माया मोह का , जकड़े रहता पाँव |

जिस जिसने छोड़ा इसे , बसे ईश के गाँव ||4||

धन्य भूमि है देश की, जन्मे संत महान |

ज्ञान दीप से जगत का,हरे सकल अज्ञान ||5||

.…

Continue

Added by Chhaya Shukla on May 10, 2017 at 2:00pm — 9 Comments

चाँद तारे बना टाँकती रह गई

212  212 
झाँकती रह गई |
ताकती रह गई |


चाँद तारे बना
टाँकती रह गई |


अंत है कब कहाँ
आँकती रह गई |


चाशनी हाथ ले 
बाँटती रह गई |


साँच को आँच थी
हाँकती रह गई |


रेत में जब फँसी
हाँफती रह गई |


प्यास कैसे बुझे
बाँचती रह गई |
(मौलिक अप्रकाशित)

 

 

Added by Chhaya Shukla on May 9, 2017 at 9:30pm — 12 Comments

"तुमने कहा था भूल जा"

लौकिक अनाम छंद 

221 2121 1221 212



तुमने कहा था भूल जा तुमको भुला दिया |

जीना कठिन हुआ भले' जीके दिखा दिया |

.

अब और कुछ न माँग बचा कुछ भी तो नहीं

इक दम था इन रगों में जो तुम पर लुटा दिया |

.

जो रात दिन थे साथ में वही छोड़ कर गये

था मोह का तमस जो सघन वो मिटा दिया |

.

अब चैन से निकल तिरे जालिम जहान से

कोई कहीं न रोक ले कुंडा लगा दिया |

.

धक धक धड़क गया बड़ा नाजुक था  मेंरा दिल 

नश्तर बहुत था तेज जो…

Continue

Added by Chhaya Shukla on May 3, 2017 at 1:00pm — 10 Comments

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