जीवन हमको बुद्ध का , देता है सन्देश |
रक्षा करना जीव की , दूर रहेगा क्लेश ||1||
भोग विलास व नारियां, बदल न पाई चाल |
योग बना था संत का, छोड़ दिया जंजाल ||2||
मन वीणा के तार को, कसना तनिक सहेज |
ढीले से हो बेसुरा , अधिक कसे निस्तेज ||3||
बंधन माया मोह का , जकड़े रहता पाँव |
जिस जिसने छोड़ा इसे , बसे ईश के गाँव ||4||
धन्य भूमि है देश की, जन्मे संत महान |
ज्ञान दीप से जगत का,हरे सकल अज्ञान ||5||
.…
Added by Chhaya Shukla on May 10, 2017 at 2:00pm — 9 Comments
212 212
झाँकती रह गई |
ताकती रह गई |
चाँद तारे बना
टाँकती रह गई |
अंत है कब कहाँ
आँकती रह गई |
चाशनी हाथ ले
बाँटती रह गई |
साँच को आँच थी
हाँकती रह गई |
रेत में जब फँसी
हाँफती रह गई |
प्यास कैसे बुझे
बाँचती रह गई |
(मौलिक अप्रकाशित)
Added by Chhaya Shukla on May 9, 2017 at 9:30pm — 12 Comments
लौकिक अनाम छंद
221 2121 1221 212
तुमने कहा था भूल जा तुमको भुला दिया |
जीना कठिन हुआ भले' जीके दिखा दिया |
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अब और कुछ न माँग बचा कुछ भी तो नहीं
इक दम था इन रगों में जो तुम पर लुटा दिया |
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जो रात दिन थे साथ में वही छोड़ कर गये
था मोह का तमस जो सघन वो मिटा दिया |
.
अब चैन से निकल तिरे जालिम जहान से
कोई कहीं न रोक ले कुंडा लगा दिया |
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धक धक धड़क गया बड़ा नाजुक था मेंरा दिल
नश्तर बहुत था तेज जो…
Added by Chhaya Shukla on May 3, 2017 at 1:00pm — 10 Comments
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