For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रामबली गुप्ता's Blog – May 2016 Archive (3)

वंदना- दुर्मिल सवैया

तव भक्त पुकार रहा कब से,

अब आय प्रभो! कर शीश धरो।

मन में अँधियार घना बढ़ता,

तम-बंधन काट प्रकाश भरो।।

बस एक सहाय प्रभो! तुम ही,

दुविधा-दुख-संकट धाय हरो।

मम डूब रही नइया मग में,

भवसागर से प्रभु! पार करो।।1।।



मधुसूदन! द्वार परा कब से,

निज दर्शन दे उपकार करो।

तुम दीनन के दुख तारन हो,

दुविधा-दुख मोर अपार हरो।

प्रभु! ज्ञानद-प्रेमद-पुंज तुम्हीं,

उर ज्ञान-प्रभा-चिर-प्रेम भरो।

कमलापति हे! कमला सँग ले,

मन-मन्दिर मोहि सदा… Continue

Added by रामबली गुप्ता on May 27, 2016 at 3:00pm — 5 Comments

प्रिय से रँगवावन को चुनरी

प्रिय से रँगवावन को चुनरी,

मन मोद लिए मुसकाय चली।

सब छाड़ि जहाँ के लाज सखे!

भरि थाल गुलाल उड़ाय चली।

पट पीतहि लाल हरा रँग से,

मन प्रेमहि रंग रँगाय चली।

नव यौवन के मद से सबके,

मन में मदिरा छलकाय चली।।1।।



सुंदर पुष्प सजा तन पे,

लट-केश -घटा बिखराय चली है।

अंजित नैन कटार बने,

अधरों पर लाल लुभाय चली है।।

अंगहि चंदन गंध भरे,

मदमत्त गयंद लजाय चली है।

हाय! गयो हिय मोर सखे!

कटि जूँ गगरी छलकाय चली… Continue

Added by रामबली गुप्ता on May 9, 2016 at 5:30pm — 5 Comments

दुर्मिल सवैया

बन प्रेम-प्रसून सुवासित हो,

उर में सबके नित वास करो।



मद-लोभ-अनीति-अधर्म तजो,

धर धर्म-ध्वजा नर-त्रास हरो।।



सत हेतु करो विषपान सदा,

नहि किंचित हे! मनुपुत्र! डरो।



सदभाव-सुकर्म-सुजीवन का,

जग में प्रतिमान नवीन धरो।।1।।



पथ में अति काल-बवंडर से,

नहि किंचित कंत! कदापि डरो।



करके दृढ़-निश्चय साहस से,

हिय धीर धरे नित यत्न करो।।



हर रोक-रुकावट-विघ्न मिटे,

जब सिंह समान हुँकार… Continue

Added by रामबली गुप्ता on May 6, 2016 at 4:30am — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service