साहब ए इश्क़1 को अफ़गार2 किया है मैंने
बेवफ़ा सुन ले तुझे प्यार किया है मैंने
कोई सौदागर ए ग़म3 हो तो इसे ले जाये
दर्द ओ ग़म को सरे बाज़ार किया है मैंने
दिल की दहलीज़4 पे रख के तेरी यादों के चिराग
हर शब-ए-हिज़्र5 को गुलज़ार किया है मैंने
दर्द पिघले तो न बहने लगे आँखों से कहीं
दिल के ज़ख़्मों को ख़बरदार किया है मैंने
उसकी रुसवाई6 न हो…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 26, 2016 at 1:30am — 5 Comments
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 20, 2016 at 9:59pm — 6 Comments
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 12, 2016 at 12:36pm — 11 Comments
क्या पता था इश्क़ मे ये हादसा हो जाएगा
वो वफ़ा की बात करके बेवफ़ा हो जाएगा
रास्ता पुरख़ार है या मौसमे गुल से भरा
जब भी निकलोगे सफ़र में सब पता हो जाएगा
रफ़्ता रफ़्ता ज़िंदगी भी बेवफ़ा हो जाएगी
रफ़्ता रफ़्ता इस जहां में सब फ़ना हो जाएगा
धड़कनें पूछेंगी ख़ुद से बेक़रारी का सबब
दो दिलों के दरमियाँ जब फ़ासला हो जाएगा
कौन किसका साथ देता है यहाँ पे उम्र भर
शाम तक तेरा ये साया भी जुदा हो जाएगा
अपने…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 6, 2016 at 11:56pm — 14 Comments
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