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ज़ुमुररुद कब किसी मुफ़्लिस के घर चूल्हा जलाता है
मिरी जाँ ये तो बस शाहों कि पोशाकें सजाता है
रिआया भी तो देखो कितनी दीवानी सी लगती है
उसी को ताज़ कहती है जो इनके घर जलाता है
नगर में नफ़रतों के भी महब्बत कौन समझेगा
ए पागल दिल तू वीराने में क्यों बाजा बजाता है
हमारे हौसले तो कब के आज़ी टूट जाते पर
ये नन्हा सा परिंदा है जो आशाएँ जगाता है
कोई बेचे यहाँ आँसू तो कोई…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on June 24, 2021 at 6:00pm — 8 Comments
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उठाकर शहंशह क़लम बोलता है
चढ़ा दो जो सूली पे ग़म बोलता है
ये फरियाद लेकर चला आया है जो
ये काफ़िर बहुत दम ब दम बोलता है
जुबाँ काट दो उसकी हद को बता दो
बड़ा कर जो कद को ख़दम बोलता है
गँवारों की वस्ती है कहता है ज़ालिम
किसे नीच ढा कर सितम बोलता है
बिठाता है सर पर उठाकर उसी को
जो कर दो हर इक सर क़लम बोलता है
बड़ी बेबसी में है जीता वो ख़ादिम
बड़ाकर जो…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on June 15, 2021 at 4:30pm — 6 Comments
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अज़ीब इस दिल की बातें हैं अज़ीब इसके तराने हैं
अज़ीब ही दर्द है इसका अज़ीब ही दास्तानें हैं
अज़ीब अंज़ाम है इसका अज़ीब आग़ाज़ करता है
अगर जो टूट भी जाये तो ना आवाज़ करता है
कभी सुरख़ाब करता है कभी बेताब करता है
दिल ए नादाँ............. दिल ए नादाँ...........
दिल ए नादाँ हर इक ख़्वाहिश को ही आदाब करता है
ये करतब कितनी आसानी से यारो दिल ये करता है
कभी ये ज़ख़्म देता है,…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on June 10, 2021 at 10:23am — 2 Comments
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लाओ जंजीर मुझे पहना दो
मेरी तकदीर मुझे पहना दो
तुम ख़ुदा हो तो ये डर कैसा है
मेरी तहरीर मुझे पहना दो
जो भी चाहो वो सज़ा दो मुझको
जुर्म ए तामीर मुझे पहना दो
पहले काटो ये ज़ुबाँ मेरी फिर
कोई तज़्वीर मुझे पहना दो
मुफ़्लिसी ज़ुर्म अगर है मेरा
सारी ताजी़र मुझे पहना दो
आज आया हूँ मैं हक की खातिर
कोई तस्वीर मुझे पहना दो
मौलिक व…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on June 2, 2021 at 12:30pm — 9 Comments
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