आज मन के भाव को,
प्रेम का शुभ संचार दो।
आज हृदय की पीर को,
आत्मा में विस्तार दो।।
मैं तुम्हारे गीत गाती
ही रहूँगी जन्म भर।
तुम्हारे प्रेम-दीवानी हो,
ये कहूँगी मृत्यु तक।।
मुझे विरह में लीन रखो,
तुम चाहे तो आजीवन।
दो न अपने दर्शन मुझे,
तुम चाहे तो आमरण।।
सुनो,मैं तुम्हारी प्रेयसी,
औ मैं ही तुम्हारी प्रेरणा।
चैन कब आएगा तुमको,
इस जन्म में मेरे बिना।।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]
Added by Savitri Rathore on June 24, 2014 at 5:24pm — 9 Comments
तू मेरी मोहब्बत है,तू मेरी इबादत है।
कैसे मैं तुझसे कहूँ,मुझे तेरी ज़रुरत है।
हरदम मैं लूँ नाम तेरा,चाहे शाम हो या सवेरा,
ये तुझको भी है मालूम, मुझे तेरी आदत है।
पाने को न कुछ पाया,जो तुझको नहीं पाया,
फिर चाहे जहाँ भर की,मेरे पास ये दौलत है।
ये साँस भी छिन जाये,जो पास न तू आये,
आकर आगोश में ले ले,बस इतनी हसरत है।
तुझसे ज़िंदगानी मेरी,तुझसे ही कहानी मेरी,
तेरे बिन जीना कैसा,कह दे,मरने की इज़ाज़त है।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक…
Added by Savitri Rathore on June 21, 2014 at 8:36pm — 6 Comments
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