उसने मुझसे कहा
ये क्या लिखते रहते हो
गरीबी के बारे में
अभावों, असुविधाओं,
तन और मन पर लगे घावों के बारे में
रईसों, सुविधा-भोगियों के खिलाफ
उगलते रहते हो ज़हर
निश-दिन, चारों पहर
तुम्हे अपने आस-पास
क्या सिर्फ दिखलाई…
Added by anwar suhail on June 20, 2013 at 10:28pm — 4 Comments
उनके जीवन में है दुःख ही दुःख
और हम बड़ी आसानी से कह देते
उनको दुःख सहने की आदत है...
वे सुनते अभाव का महा-आख्यान
वे गाते अपूरित आकांक्षाओं के गान
चुपचाप सहते जाते जुल्मो-सितम
और हम बड़ी आसानी से कह देते
अपने जीवन से ये कितने सतुष्ट हैं...
वे नही जानते कि उनकी बेहतरी लिए
उनकी शिक्षा,…
ContinueAdded by anwar suhail on June 17, 2013 at 8:43pm — 11 Comments
जाने कब मिलेंगे हम अब्बू आपसे...
-----------------------------------------अनवर सुहैल (मौलिक अप्रकाशित और अप्रसारित कविता)
कब मिलेगी फुर्सत
कब मिलेगा मौका
कब बढ़ेंगे कदम
कब मिलेंगे हम अब्बू आपसे...
बेशक, आप खुद्दार हैं
बेशक, आप खुद-मुख्तार हैं
बेशक, आप नहीं देना चाहते तकलीफ
अपने वजूद से,
किसी को भी
बेशक , आप नहीं बनना चाहते
बोझ किसी पर..
तो क्या इसी बिना पर
हम आपको छोड़…
Added by anwar suhail on June 11, 2013 at 8:26pm — 8 Comments
Added by anwar suhail on June 4, 2013 at 8:21pm — 7 Comments
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