212 212 212 212
छोड़ दूँ अब कुंवारा नगर मैं पिया
काट लूँ सँग तुम्हारे सफर मैं पिया
मन न माने मगर क्या बताऊँ तुम्हें
साथ दोगे चलूंगी सहर मैं पिया
पंखुड़ी खिल गयी राग पाकर कहीं
बेज़ुबां अब न खोलूं अधर मैं पिया
मौत का गम नहीं साथ तुम हो मेरे
मुस्करा के पियुंगी जहर मैं पिया
अब तुम्हारे सिवा कुछ न चाहूंगी मैं
दिल मिलाओ मिलाऊं नज़र मैं पिया
दूर से देखकर आज रुकना…
ContinueAdded by Nidhi Agrawal on June 25, 2015 at 12:01pm — 6 Comments
बारिश की पहली पहली फुहार
और सिग्नल का ये इंतज़ार
नजरें बरबस विंड स्क्रीन पर अटक गयीं
बारिश की बूँदें ढल रही थीं
एक एक कर बड़ी कठिनाई से बूँद सरकती
धीरे से दूसरी बूँद से जा मिलती
फिर थोड़ी सी रफ़्तार बढती
दोनों मिलकर तीसरी बूँद से मिलती
और फिर तेज़ रफ़्तार से ढुलक जाती
सोचें सरकने लगीं यूँ ही
कारवां भी ऐसे ही बनता है
किसी नए इंसान से मिलना
काफी कठिन लगता है पहली बार
दो मिलकर तीसरे से मिलने…
ContinueAdded by Nidhi Agrawal on June 16, 2015 at 12:30pm — 11 Comments
टूट टूट के अपना दिल कुछ जाली सा हो गया
अंतरमन का वो कोना कुछ खाली सा हो गया
वस्ल की निगाहें हो गयी, दोस्ती की आड़ में
नारी होकर जीना अब कुछ गाली सा हो गया
नजरों में घुली शराब, चाचा मामा भाई की
आँखों में हर रिश्ता, अब कुछ साली सा हो गया
गर्दिश में लिपटी कनीज़, सहारे की तलाश में
मन अकबर शज़र का भी, कुछ डाली सा हो गया
शोर में दब के रह गयी आबरू की आवाज
चीखती ललना का स्वर, बस ताली सा हो…
ContinueAdded by Nidhi Agrawal on June 9, 2015 at 3:30pm — 13 Comments
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