2212 1212 221 122
दर्पण को देख हुस्न यूं शर्माने लगा है
लगता खुमारे इश्क उस पे छाने लगा है
उंगली में चुनरी लिपटी है दांतों से दबे ओंठ
इक दिल धड़क धड़क के नगमे गाने लगा है
जगते हैं पहरेदार भी आँखों के निशा में
ख्वावो में उनके जबसे कोई आने लगा है
रुक-रुक के सांस चलती है नजरों में उदासी
सीने से दिल निकल के जैसे जाने लगा है
कलियों के साथ देख के भंवरों को वो तन्हा
कुछ कुछ समझ…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 11, 2015 at 2:00pm — 12 Comments
२१२२ ११२२ ११२२ २२/११२
वक़्त ये चलता है चलते हुए सूरज की तरह
तन मेरा जलता है जलते हुए सूरज की तरह
रोशनी इल्म की दुनिया में तभी बिखरेगी
तम को निगलोगे निगलते हुए सूरज की तरह
जुल्फ की छांव तले शाम गुजारो अपनी
अब्र में छुप के बहलते हुए सूरज की तरह
राह मुश्किल है जवानी की संभलकर चलना
कितने फिसले हैं फिसलते हुए सूरज की तरह
अब्र की छांव में हर रोज छुपाकर खुद को
इक कमर ने छला…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 5, 2015 at 10:49am — 15 Comments
1212 1212 1212 1212
बशर तमाम भीड़ में मुकाम ढूंढते रहे
जमी पे हैं मगर फलक पे नाम ढूंढते रहे
हुनर तराशने की उम्र मस्ती में ही काटकर
बिना हुनर मियां कहाँ पे काम ढूंढते रहे
कभी भी बीज आम के चमन में बोये जब नहीं
तो फिर चमन में क्यूँ यूं आप आम ढूंढते रहे
जो रिंद हैं उन्हें तो मयकशी ही रास आयेगी
वो मयकदे तलाशते हैं जाम ढूंढते रहे
जतन तमाम ही किये पढ़ाने लाडले को जब
तभी से मन ही मन वो…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 2, 2015 at 11:30am — 24 Comments
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