चाहतों ने गुलज़मीं पे चाँदनी जब छा दिया
आहटों ने बढ़ तराना प्यार का तब गा दिया |
हाथ क़ैदी की तरह सहमे हुए थे क़ैद में
क़ैदख़ाने में किसी ने दिल थमा बहका दिया |
पाँव में थीं बेड़ियाँ, बेदम नज़र, मंजिल न थी
हौसले ने वक़्त पे सिर से कफ़न फहरा दिया |
होंठ काँटों के हवाले खूँ से लथपथ थे पड़े
फूल की ख़ुशबू ने टाँके खींचकर महका दिया |…
ContinueAdded by Santlal Karun on June 16, 2014 at 9:00pm — 20 Comments
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