भीषण गरमी का मौसम( अतुकांत)
भीषण गरमी के मौसम में
हम करते हैं आराम।
लेकिन जिन्दगी में,
कैसे करें आराम ।
काली काली जामुन
सावन से पहले की मीठी मीठी
हमने खायी,नहाते नहाते
क्या बिन बिजली हम जीते नहीं थे
अब सब बिजली के बिन चिल्लाते हैं
मजदूरों को कभी गरमी नहीं लगती
न वो बोलते हैं
अगर बोलें भी , तो कोई नहीं सुनता।।
मौलिक व अप्रकाशित।
Added by सूबे सिंह सुजान on June 29, 2014 at 1:22pm — 7 Comments
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