For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manan Kumar singh's Blog – June 2015 Archive (8)

अनुभव(लघु कथा, मनन कुमार सिंह)

अनुभव(लघुकथा)
-नहीं।
-क्यों?
-डरती हूँ,कुछ इधर-उधर न हो जाए।
-अब डर कैसा?बहुत सारी दवाएँ आ गयी हैं,वैसे भी हम शादी करनेवाले हैं न।
-कब तक?
-अगले छः माह में।
-लगता है जल्दी में हो।
-क्यों?
-क्योंकि बाकि सब तो साल-सालभर कहते रहे अबतक।
लड़के की पकड़ ढीली पड़ गयी।दोनों एक-दूसरे को देखने लगे।फिर लड़की ने टोका
-क्यों,क्या हुआ?तेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ है क्या?
'मौलिक व अप्रकाशित'@मनन

Added by Manan Kumar singh on June 27, 2015 at 12:01am — 4 Comments

भूख(लघु कथा, मनन कु॰ सिंह)

भूख(लघु कथा)

आखिरी बस जा चुकी।सन्नाटा पसर चला।उसे चूल्हे की आग बुझती-सी लगी,पर यूँ ही बैठी रही।अचानक उसका ध्यान भंग हुआ,

--बस छूट गयी क्या?

दूकान बंद करते पानवाले ने पूछा।

-नहीं,बस यूँ ही---उसने मुड़कर पीछे देखा।पानवाला उसे अंदर तक घूरता-सा लगा।

--अब कोई नहीं आयेगा,चल न मेरे यहाँ आज।

--नहीं,घर में बच्चे भूखे होंगे,और फिर तेरी घरवाली.........?

-मैके चली गयी है।बगल के…

Continue

Added by Manan Kumar singh on June 23, 2015 at 3:52pm — 14 Comments

उम्र(लघु कथा, मनन कु॰ सिंह)

उम्र

‘आप मुझे जानते हैं ?’

‘आप ही बता दें’।

‘फ्रेंड– रेकुएस्ट तो आपका था न?’

‘हाँ, एक दोस्त के साथ आपका नाम था’।

‘दोस्त का नाम बताइये’।

‘था कुछ नाम जी’।

‘अच्छा चलिये, अपने ही बारे  में बता दीजिये’। उधर से महिला ने संदेश भेजा ।

‘ मेरे बारे में तो मेरे प्रोफ़ाइल में है सब कुछ’।

‘कहाँ रहते हैं?’

‘आप बताइये’।

‘मैं तो जट मारवाड़ से हूँ, आप ?’

‘कोल्हापुर से जी’।

‘पर, आप बावन के हैं , मैं तो बस…

Continue

Added by Manan Kumar singh on June 14, 2015 at 12:30pm — 1 Comment

रातभर(गजल,मनन कु.सिंह)

गजल
2 2 2 2 2 2 1 21 2
बरसी है कल बरसात रातभर,
तरसा है पल कल रात रातभर।
धरती है अब तक भींग भींग कर,
तड़पा है मन कल रात रातभर।
पड़ती थीं बूँदें रात-गात पर,
बढ़ती थीं बातें रात रातभर।
झोंके थे पावन वात वान-से,
लहरी थी लगती रात रातभर।
तेरी थीं यादें रात घाव-सी,
मुझको थी लगती घात रातभर।
@मनन
वात=हवा
वान=युक्त
घात=चोट/घाव
गात=शरीर/देह

Added by Manan Kumar singh on June 13, 2015 at 11:00pm — 1 Comment

जगह पर हूँ(गजल,मनन कु.सिंह)

सही जगह पर हूँ,
नहीं कि शह पर हूँ।
कहूँ वजह-ए-कहन,
कहूँ कि तह पर हूँ।
रहे गुजरती वह,
वहीं सतह पर हूँ।
रचो गजल अपनी,
कहूँ कि बह पर हूँ।
बँधें बँधे पुख्ता,
कहूँ कि दह पर हूँ।
@मनन
बह=बाँस की जड़ जहाँ से बाँस निकलती है।
दह=जल मग्न होने की स्थिति।
बँधे=बाँध

Added by Manan Kumar singh on June 9, 2015 at 10:52pm — 3 Comments

जिंदगी री (गजल,मनन कु॰ सिंह)

2122        2122    2122    2122



जब कहेगी तब करेंगे नाम तेरे जिंदगी री।

कब रहेगी जो चलेगी साथ घेरे जिंदगी री?



माँगता हूँ  मैं हमेशा जिंदगी से जिंदगी पर,

दे कहाँ पायी अभी जो बात टेरे जिंदगी री।



आ गयी थीं तब सलोनी ऊँघती कैसी घटाएँ,

दे गयी थी देख तब भी उष्ण फेरे जिंदगी री।



बैठकर मैं शांत कैसा देखता था बूँद जल का 

आग जैसा फिर जलाया रे घनेरे जिंदगी री।



कब लगी मैं सोचता हूँ रे लगी कैसे भला…

Continue

Added by Manan Kumar singh on June 5, 2015 at 10:00am — 2 Comments

मान्यता(लघु कथा,मनन कु. सिंह)

पाठ्य पुस्तक में अपनी कविता देखकर कविता बहुत खुश हुई।पर यह क्या,कवयित्री की जगह तो नाम किसी कामिनी देवी का था।उसने कामिनी देवी का पता नोट किया,पता करने पर पता चला कि कामिनी एक बहुत ही लब्ध-प्रतिष्ठ हिंदी साहित्यकार के खानदान से है,जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।कविता कामिनी से मिलने पहुँच गयी,बोली-

'तुमसे ऐसी उम्मीद न थी ।तूने मेरी कविता अपने नाम से पाठ्य क्रम में शामिल करा लिया।'

- 'ऐसी उम्मीद तो तुमसे मुझे नहीं थी,तू मेरी कविता को अपनी कह रही।'

-'अच्छा,चोरी और सीनाजोरी?'…

Continue

Added by Manan Kumar singh on June 3, 2015 at 5:00pm — 14 Comments

चुनाव-चर्चा(गजलनुमा कविता, मनन कु॰ सिंह)

अब चुनावों की आती बारात देखिये,

लुटता है कौन अब इस रात देखिये।

जात-पाँत की चर्चा जोरों की होगी,

पहले देखी,फिर से यह बात देखिये।

क्या होगा,न होगा, है सब गाछ पर,

है नमूनों की बनती जमात देखिये।

सहेजने में लगे हैं छितराई छतरी,

बातों की तो इनकी बिसात देखिये।

कन्हुआ-कन्हुआ गिनते सब कुर्सी,

दिखा रहे, इनकी औकात देखिये।…

Continue

Added by Manan Kumar singh on June 2, 2015 at 10:00am — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी आयोजन का उद्घाटन करने बधाई.ग़ज़ल बस हो भर पाई है. मिसरे अधपके से हैं…"
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"देखकर ज़ुल्म कुछ हुआ तो नहीं हूँ मैं ज़िंदा भी मर गया तो नहीं ढूंढ लेता है रंज ओ ग़म के सबब दिल मेरा…"
18 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"सादर अभिवादन"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"स्वागतम"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service