अनुभव(लघुकथा)
-नहीं।
-क्यों?
-डरती हूँ,कुछ इधर-उधर न हो जाए।
-अब डर कैसा?बहुत सारी दवाएँ आ गयी हैं,वैसे भी हम शादी करनेवाले हैं न।
-कब तक?
-अगले छः माह में।
-लगता है जल्दी में हो।
-क्यों?
-क्योंकि बाकि सब तो साल-सालभर कहते रहे अबतक।
लड़के की पकड़ ढीली पड़ गयी।दोनों एक-दूसरे को देखने लगे।फिर लड़की ने टोका
-क्यों,क्या हुआ?तेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ है क्या?
'मौलिक व अप्रकाशित'@मनन
Added by Manan Kumar singh on June 27, 2015 at 12:01am — 4 Comments
भूख(लघु कथा)
आखिरी बस जा चुकी।सन्नाटा पसर चला।उसे चूल्हे की आग बुझती-सी लगी,पर यूँ ही बैठी रही।अचानक उसका ध्यान भंग हुआ,
--बस छूट गयी क्या?
दूकान बंद करते पानवाले ने पूछा।
-नहीं,बस यूँ ही---उसने मुड़कर पीछे देखा।पानवाला उसे अंदर तक घूरता-सा लगा।
--अब कोई नहीं आयेगा,चल न मेरे यहाँ आज।
--नहीं,घर में बच्चे भूखे होंगे,और फिर तेरी घरवाली.........?
-मैके चली गयी है।बगल के…
Added by Manan Kumar singh on June 23, 2015 at 3:52pm — 14 Comments
उम्र
‘आप मुझे जानते हैं ?’
‘आप ही बता दें’।
‘फ्रेंड– रेकुएस्ट तो आपका था न?’
‘हाँ, एक दोस्त के साथ आपका नाम था’।
‘दोस्त का नाम बताइये’।
‘था कुछ नाम जी’।
‘अच्छा चलिये, अपने ही बारे में बता दीजिये’। उधर से महिला ने संदेश भेजा ।
‘ मेरे बारे में तो मेरे प्रोफ़ाइल में है सब कुछ’।
‘कहाँ रहते हैं?’
‘आप बताइये’।
‘मैं तो जट मारवाड़ से हूँ, आप ?’
‘कोल्हापुर से जी’।
‘पर, आप बावन के हैं , मैं तो बस…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on June 14, 2015 at 12:30pm — 1 Comment
Added by Manan Kumar singh on June 13, 2015 at 11:00pm — 1 Comment
Added by Manan Kumar singh on June 9, 2015 at 10:52pm — 3 Comments
2122 2122 2122 2122
जब कहेगी तब करेंगे नाम तेरे जिंदगी री।
कब रहेगी जो चलेगी साथ घेरे जिंदगी री?
माँगता हूँ मैं हमेशा जिंदगी से जिंदगी पर,
दे कहाँ पायी अभी जो बात टेरे जिंदगी री।
आ गयी थीं तब सलोनी ऊँघती कैसी घटाएँ,
दे गयी थी देख तब भी उष्ण फेरे जिंदगी री।
बैठकर मैं शांत कैसा देखता था बूँद जल का
आग जैसा फिर जलाया रे घनेरे जिंदगी री।
कब लगी मैं सोचता हूँ रे लगी कैसे भला…
Added by Manan Kumar singh on June 5, 2015 at 10:00am — 2 Comments
पाठ्य पुस्तक में अपनी कविता देखकर कविता बहुत खुश हुई।पर यह क्या,कवयित्री की जगह तो नाम किसी कामिनी देवी का था।उसने कामिनी देवी का पता नोट किया,पता करने पर पता चला कि कामिनी एक बहुत ही लब्ध-प्रतिष्ठ हिंदी साहित्यकार के खानदान से है,जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।कविता कामिनी से मिलने पहुँच गयी,बोली-
'तुमसे ऐसी उम्मीद न थी ।तूने मेरी कविता अपने नाम से पाठ्य क्रम में शामिल करा लिया।'
- 'ऐसी उम्मीद तो तुमसे मुझे नहीं थी,तू मेरी कविता को अपनी कह रही।'
-'अच्छा,चोरी और सीनाजोरी?'…
Added by Manan Kumar singh on June 3, 2015 at 5:00pm — 14 Comments
अब चुनावों की आती बारात देखिये,
लुटता है कौन अब इस रात देखिये।
जात-पाँत की चर्चा जोरों की होगी,
पहले देखी,फिर से यह बात देखिये।
क्या होगा,न होगा, है सब गाछ पर,
है नमूनों की बनती जमात देखिये।
सहेजने में लगे हैं छितराई छतरी,
बातों की तो इनकी बिसात देखिये।
कन्हुआ-कन्हुआ गिनते सब कुर्सी,
दिखा रहे, इनकी औकात देखिये।…
Added by Manan Kumar singh on June 2, 2015 at 10:00am — 4 Comments
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