Added by Manan Kumar singh on June 30, 2016 at 7:10am — 2 Comments
महफिल सजा हम आज तक बैठे हुए
महबूब तो हैं बेवजह उखड़े हुए।1
अपनी वफा पे ढ़ा गये जुल्मो सितम
मुड़कर जरा देखा नहीं चलते हुए।2
आसान उनकी राह हमसे हो गयी
मुश्किल हुई अपनी चले गाते हुए।3
मौसम गया है लोढकर सारा शुकूं
बेकस हुए पादप तने बिखरे हुए।4
कसमस कथाएँ झेलती कलिका रही
बनठन चले हैं आज वे निखरे हुए।5
बहतीं कहाँ खुलकर हवाएँ अब यहाँ
हँसते हुए तारे अभी सहमे हुए।6
रूकता कहाँ बेखौफ कातिल मनचला
अंदाज…
Added by Manan Kumar singh on June 27, 2016 at 11:00pm — 6 Comments
Added by Manan Kumar singh on June 23, 2016 at 12:08pm — 10 Comments
Added by Manan Kumar singh on June 20, 2016 at 11:00am — 14 Comments
Added by Manan Kumar singh on June 16, 2016 at 11:00pm — 6 Comments
Added by Manan Kumar singh on June 14, 2016 at 7:03am — 11 Comments
Added by Manan Kumar singh on June 5, 2016 at 4:00pm — 6 Comments
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