रात दिन तुमको पुकारा,
किन्तु तुम अब तक न आए !
चित्र मेरी कल्पना के,
मूर्तियों में ढल न पाए !
चिर प्रतीक्षित आस के संग, प्यार अपना बाँट लूँगी ।
उम्र आधी कट गई है, उम्र आधी काट लूँगी !!
प्रेम तुमसे ही तुम्हारा,
किस तरह आखिर छिपाऊँ ?
और कह भी दूँ, कहो यह,
रीत फिर कैसे निभाऊं ?
गूँजते हो धड़कनों की,
थाप पर अनुनाद बन कर !
मौन मन की सिहरनों में,
घुल चुके आह्लाद बन कर…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on July 8, 2020 at 4:30pm — 6 Comments
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