मेरी यादों में मृत्यु
अब भी जीवित रहता है
मरने के बाद भी
जीने की पुरजोर कोशिश में
बार -बार मरता रहता है
जाने कैसे मर कर वो ज़िंदा रहता है।
तुम तो गए ,
दूर पहाड़ों के उस पार
आसमान के अनंत विस्तार से कहीं बहुत आगे
मैं रह गयी यहाँ गाँव में अकेली
नदी ,पहाड़ और
आषाढ़ की जलती ,दग्ध करती हुई जलती बूंदों में घिर कर।
अँधेरे गहरे काले साए
मृत्यु के पश्चात भी
मिलन की आकांक्षा जगा जाते है
आत्मा हो…
Added by kanta roy on July 2, 2016 at 10:30am — 2 Comments
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