क्यारी देखी फूल बिन ,माली हुआ उदास ।
कह दी मन की बात सब, जा पेड़ों के पास ॥
हिन्दी को समृद्धि करन हित, मन में जागी आस ।
गाँव गली हर शहर तक ,करना अथक प्रयास ॥
कदम बढ़ाओ सड़क पर ,मन में रख कर विश्वाश ।
मिली सफलता एक दिन ,सबकी पूरी आश ॥
सूरज चमके अम्बर में , करे तिमिर का नाश ।
अज्ञानता का भय मिटे, फैले जगत प्रकाश ॥
चंदा दमकी आसमान ,गई जगत में छाय ।
हिन्दी पहुंची जन जन में, तब बाधा मिट जाय ॥
हिन्दी हमारी ताज अब, सबको रख कर पास…
ContinueAdded by Ram Ashery on July 17, 2015 at 6:54pm — 3 Comments
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