अपनी जान बचा तो पाया,
डूबा था पर बाहर आया।
जब इल्ज़ामों की बारिश थी,
पास नहीं था मेरे साया।
मुझको गैर बताकर उसने,
हाय गजब ये कैसा ढाया।
तन्हाई में खाली दिल ने,
साज़ उठाया नग़मा गाया।
जबसे सच्चाई जानी है,
हर रिश्ते से दिल घबराया।
प्यार भरा दिल तोड़ा जिसने,
मानो उसने मंदिर ढाया।
कुछ मिसरे ये टूटे फूटे,
हैं मेरा सारा सरमाया।
हम…
Added by इमरान खान on July 26, 2015 at 3:18pm — 8 Comments
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