सरसी मिलिन्दपाद छन्द ।
१६,११ पदान्त में (२१ गुरु,लघु)अनिवार्य
आज गुरुपूर्णिमा पर आदरणीय ओबीओ मंच को समर्पित ।
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हे जीवन पथ के निर्माता,तुम पे है अभिमान।
तुम ही मात-पिता हो मेरे,तुम ही हो भगवान।
तुम ने दीप ज्ञान का देकर,किया बडा आभार ।
जन्मों जनम तक भी न उतरे,तेरा ये उपकार।
ब्रह्मा,विष्णु,महेश,मुरारी,गुरु चरणों में राम।
तन,मन,धन,सब कुछ अर्पण कर,करूं गुरुवर प्रणाम ।
मौलिक व अप्रकाशित ।
Added by Rahul Dangi Panchal on July 31, 2015 at 10:30pm — 8 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on July 26, 2015 at 9:30pm — 12 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on July 25, 2015 at 4:00pm — 7 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on July 22, 2015 at 7:48am — 18 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on July 18, 2015 at 11:58pm — 4 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on July 8, 2015 at 10:44pm — 11 Comments
२२ २२ २२ २२
कहीं पे' ठण्डी' बयार जिन्दगी ।
कहीं लगे अंगार जिन्दगी ।।
पतझड और बहार जिन्दगी ।
सुख दुख का व्यापार जिन्दगी ।।
जाने कितने रंग से' खेलें।
होली का त्यौहार जिन्दगी ।।
नानी माँ की गोद में' है तो।
इमली,आम,अचार जिन्दगी ।।
इश्क के' मारों से जो पूछा।
दिलबर का दीदार जिन्दगी ।।
उनके होंटों के साहिल पर।
फूलों सी रसदार जिन्दगी ।।
कौन समझ पाया है इसको।
उलझन का संसार जिन्दगी ।।…
Added by Rahul Dangi Panchal on July 1, 2015 at 2:00pm — 18 Comments
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