For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – July 2021 Archive (7)

सावन के दोहे : ..........

सावन के दोहे :.........

गुन -गुन गाएँ धड़कनें, सावन में मल्हार ।

पलक झरोखों में दिखे, प्यारी सी मनुहार ।।

सावन में अक्सर करे , दिल मिलने की आस।

हर गर्जन पर मेघ की, यादें करती रास ।।

अन्तस में झंकृत हुए, सुप्त सभी स्वीकार।

तन पर सावन की करे, वृृष्टि   मधुर  शृंगार ।।

सावन में अच्छे लगें, मौन मधुर स्वीकार ।

मुदित नयन में हो गई, प्रतिबन्धों की हार।।

अन्तर्मन को छू गये, अनुरोधों के ज्वार ।

इन्कारों…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 28, 2021 at 3:30pm — 6 Comments

प्रश्न .....

प्रश्न ......

प्रश्न प्रश्न प्रश्न

स्वयं को तलाशते

सैंकड़ों प्रश्न

क्या मैं

सदियों से वीरान किसी पूजा गृह की

काल धूल के आवरण से लिपटी

कोई खंडित प्रतिमा हूँ

या फिर

किसी हवन कुंड में

किसी मनोरथ की सिद्धि के लिए

झोंकी जाने वाली सामग्री हूँ

या फिर

विषधरों के दंश झेलता

कोई चंदन का विटप हूँ

या फिर

काल की आँधी में अपने अस्तित्व से जूझता

धीरे-धीरे विघटित होता

शिला खंड…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 26, 2021 at 12:54pm — 6 Comments

फ़र्ज़ ......

फ़र्ज़ ......

निभा दिया फ़र्ज़
संतान ने
भेजकर माँ - बाप को
वृद्धाश्रम

........................

आजकल फ़र्ज़ भी
निभाए जाते हैं
कर्ज़ की तरह

.........................

गुजर गए
गुजरना था उनको
जिन्दगी की आखिरी पायदान से
बदल कर
पुरानी नेम प्लेट अपने नाम से
निभा दिया फ़र्ज़
अपने वारिस होने का

सुशील सरना / 23-7-21

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on July 23, 2021 at 5:37pm — 2 Comments

दोहा त्रयी. . . .

अन्तस में नर्तन करें, विगत रैन के द्वन्द ।
मुदित नैन रचने लगे, प्रीत गंध के छन्द । ।

नैनों से नैना करें , गुपचुप- गुपचुप बात ।
रैन तिमिर में हो गए, अलबेले उत्पात ।।

थोड़े से इंकार थे, थोड़े से इकरार ।
भली  लगी संघर्ष में, भोली भाली हार ।।

सुशील सरना / 20-7-21

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:00pm — 10 Comments

अभिव्यक्ति .......

अभिव्यक्ति ......

कैसे व्यक्त करूँ

अपने प्रेम की गहराई को

अभिव्यक्ति के अवगुंठन में

एक खीज है

तुम्हें छूने की

अबोले स्पर्शों से

कब तक लड़ूँ मैं

तुम ही कहो न

अपने प्रेम की गहराई को

कैसे व्यक्त करूँ मैं

हां! मैं तुम्हें प्यार करूँगी

भोर की उजास में

साँझ की प्यास में

तृप्ति की आस में

हर हलाहल पी जाऊँगी

मर के भी जी जाऊँगी

बस मेरी तन्हाई में

कुछ देर और जी जाओ

तुम ही कहो

तुम्हारे प्यार में आखिर…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 15, 2021 at 3:32pm — 10 Comments

सुलगते अँधेरे . . .

सुलगते अँधेरे  .......

न जाने आज

मन इतना उदास क्यों है

लगता है

स्मृतियों की सीलन से

मन की दीवारें

भुरभुरा सी गई हैं

यादों के पारदर्शी प्रतिबिम्ब

जैसे गिरती दीवारों पर

मन की बेबसी पर

अट्टहास लगा लगा रहे हों

कितनी ढीठ है

ये बरसाती हवा

जानती है मेरी आकुलता को

फिर भी मुझे छू कर

मुझसे मेरा हाल पूछती है

अब अच्छी नहीं लगतीं मुझे

आहटें

मन के वातायन पर गूँजती…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 13, 2021 at 8:00pm — 8 Comments

मन का साहिल. . . .

मन का साहिल ......

जाने कब मेरे अन्तस में

भावनाओं का सागर उफान मारने लगा

भावों की वीचियों पर

चाहत की कश्ती

अठखेलियां करने लगी

दिल के किसी कोने में

एक चाहत उभरी

कि मैं हौले से छू लूँ

फिर वही

अधर दलों पर ठहरी

उल्फ़त की गंध

चुपके से

डूब जाऊँ

किसी मदहोश भंवरे की तरह

पुष्प आगोश में

पराग का रसपान करते हुए

आकंठ तक

और मिल जाए

मेरी चाहत की कश्ती को

मेरे मन का…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 10, 2021 at 2:57pm — 10 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service