दोहा पंचक. . . . . तूफान
चार कदम पर जिंदगी, बैठी थी चुपचाप ।
बारिश के संहार पर,करती बहुत विलाप ।।
रौद्र रूप बरसात का, लील गया सुख - चैन ।
रोते- रोते दिन कटा, रोते -रोते रैन ।।
कच्चे पक्के झोंपड़े , बारिश गई समेट ।
जन - जीवन तूफान के, चढ़ा वेग की भेंट ।।
मंजर वो तूफान का, कैसे करूँ बयान ।
खौफ मौत का कर गया, आँखों को वीरान ।।
उड़ जाऐंगे होश जब, देखोगे तस्वीर ।
देख बाढ़ का दृश्य वो , गया कलेजा चीर ।
सुशील सरना /…
ContinueAdded by Sushil Sarna on August 2, 2024 at 9:19pm — 4 Comments
पसीना बोलता है (गीत)
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चन्द सूखी रोटियाँ खाकर
कष्ट में हँस गीत नित गाकर
खुशी वो घोलता है।
पसीना बोलता है।।
*
देह मैली, पर जगत चमका
सब सुधारा, आ जहाँ धमका
हाथ की छैनी कुदालों से
नित द्वार सुख के खोलता है।
पसीना बोलता है।।
*
स्वप्न जो है पोषता सब का
राह आगन देखता उस का
शौक से कब छोड़ घर अपना
परदेश में वह डोलता है।
पसीना बोलता है।।
*
खेत हों …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 2, 2024 at 2:35pm — 2 Comments
दोहा सप्तक . . . . सावन
सावन में अच्छी नहीं, आपस की तकरार ।
प्यार जताने के लिए, मौसम हैं दो चार ।।
बरसे मेघा झूम कर, खूब हुई बरसात ।
बाहुबंध में बीत गई, भीगी-भीगी रात ।।
गगरी छलकी नैन की, जब बरसी बरसात।
कैसे बीती क्या कहूँ, बिन साजन के रात।।
थोड़े से जागे हुए, थोड़े सोये नैन ।
हर करवट पर धड़कनें, रहती हैं बैचैन ।।
बिन साजन सूनी लगे, सावन वाली रात ।
सुधि सागर ऐसे बहे, जैसे बहे प्रपात ।।
जितनी बरसें…
ContinueAdded by Sushil Sarna on August 1, 2024 at 3:34pm — No Comments
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