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Anwar suhail's Blog – August 2013 Archive (2)

परिवर्तन

तुम मेरी बेटी नही 

बल्कि हो बेटा...

इसीलिये मैंने तुम्हें

दूर रक्खा शृंगार मेज से 

दूर रक्खा रसोई से 

दूर रक्खा झाडू-पोंछे से 

दूर रक्खा डर-भय के भाव से 

दूर रक्खा बिना अपराध 

माफ़ी मांगने की आदतों से 

दूर रक्खा दूसरे की आँख से देखने की लत से....

और बार-बार

किसी के भी हुकुम सुन कर 

दौड़ पडने की आदत से भी 

तुम्हे दूर रक्खा...

बेशक तुम बेधड़क जी…

Continue

Added by anwar suhail on August 29, 2013 at 10:00pm — 12 Comments

बेदर्द मौसम में

तुम्हें रोने की आज़ादी

तुम्हें मिल जाएंगे कंधे

तुम्हें घुट-घुट के जीने का

मुद्दत से तजुर्बा है



तुम्हें खामोश रहकर

बात करना अच्छा आता है

गमों का बोझ आ जाए तो

तुम गाते-गुनगुनाते हो

तुम्हारे गीत सुनकर वो

हिलाते सिर देते दाद...

इन्ही आदत के चलते ये

ज़माना बस तुम्हारा है

कि तुम जी लोगे इसी तरह

ऎसे बेदर्द मौसम में

ऎसे बेशर्म लोगों में.....



इसी तरह की मिट्टी से

बने लोगों की खासखास…

Continue

Added by anwar suhail on August 1, 2013 at 9:00pm — 9 Comments

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