जब जब हैं आतंकी आये
बिल में चूहे सा घुस जाये
खो जाए उसकी आवाज़
क्या सखि नेता? नहिं सखि राज!
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नाम जपे नित भाईचारा.
भाई को ही समझे चारा
ऐसे झपटे जैसे बाज़
क्या सखि नेता? नहिं सखि राज!
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प्लेटफार्म पर सदा घसीटे
मारे दौड़ा दौड़ा पीटे
इम्तहान क्या दोगे आज
क्या सखि पोलिस ? नहिं सखि राज !
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चलती जिसकी अज़ब गुंडई
कहे, निकल…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on August 23, 2012 at 9:30am — 48 Comments
नींबू अदरक लहसुना, सिरका-सेब जुटाय,
सारे रस लें भाग सम, मिश्रित कर खौलाय.
मिश्रित कर खौलाय, बचे तीनों चौथाई.
तब मधु लें समभाग, मिला कर बने दवाई.
'अम्बरीष' नस खोल, हृदय दे, महके खुशबू.
नित्य निहारे पेय, तीन चम्मच भल…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on August 22, 2012 at 7:30pm — 16 Comments
घनाक्षरी :
शीश हिमगिरि बना, पांव धोए सिंधु घना,
माँ ने सदा वीर जना, देश को प्रणाम है |
ब्रम्हचर्य जहाँ कसे, आर्यावर्त कहें इसे,
चार धाम जहाँ बसे, देश को प्रणाम है |
वाणी में है रस भरा, शस्य श्यामला जो धरा,…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on August 13, 2012 at 2:00am — 15 Comments
(१) बच्चों के प्रति
दिल से प्रणाम करो, पढ़-लिख नाम करो,
हाथ आया काम करो, यही देश प्रेम है,
अपना भले को मानो, दुष्ट ही पराया जानो,
सबका भला ही ठानो, यही देश प्रेम है |
सदा सद-बुद्धि धरो, बुद्धि से ही युद्ध…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on August 12, 2012 at 1:30am — 11 Comments
कह-मुकरी
(1)
पल में सारा गणित लगाये
इन्टरनेट पर फिल्म दिखाये
मेरे बच्चों का वह ट्यूटर.
ऐ सखि साजन? नहिं कम्प्यूटर..
(2)
बड़ों-बड़ों के होश उड़ाये
अंग लगे अति शोभा पाये
डरती जिससे दुनिया सारी
क्या वो नारी? नहीं कटारी!!
(3)
रहे मौन पर साथ निभाये
मैडम का हर हुक्म बजाये
नहीं आत्मा रहता बेमन
ऐ सखि रोबट? नहिं मन मोहन!!
(4)
मोहपाश में नित्य फँसाये
सास-बहू हैं घात…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 12:30am — 25 Comments
कह-मुकरी
मन-मोहक मृदु रूप में आये.
सजे कलाई अति मन भाये.
नेह-प्रीति की वह है साखी.
क्या सखि कंगन? नहिं सखि राखी!!
रूपमाला/मदन छंद
आज वसुधा है खिली ऋतु, पावसी शृंगार.
थाल बहना बन सजाये, श्रावणी त्यौहार.
बादलों से…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 2:30pm — 32 Comments
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