किचेन से रश्मि की आवाज आई ...... भाभी जरा मेरे कपड़े धुल देना, खाना बनाने के बाद धुलुंगी तो काॅलेज के लिए देर हो जायेगी! इतना सुनते ही सुमन का जैसे पारा गरम हो गया ...... बड़बड़ाते हुए बोली... सभी ने जैसे नौकर समझ लिया है, कुछ ना कुछ करने के लिए बोलते ही रहते हैं, आराम से टी0वी0 भी नही देखने देतें ........ देखिये जी ! अगर इसी तरह चलता रहा तो मैं मायके चली जाउँगी, मेरी भाभी बहुत अच्छी हैं, घर का सारा काम करती हैं, वहाँ मुझे कुछ नही करना पड़ता, और मैं आराम से टी0वी0…
ContinueAdded by Pawan Kumar on August 28, 2014 at 6:06pm — 8 Comments
Added by Pawan Kumar on August 26, 2014 at 1:30pm — 12 Comments
चले आओ कभी आगोश में,
सब छोड़ के जालिम!
ये रातें कट रही तन्हा,
कि तेरी याद आती है।
बताऊँ फिर तुझे कैसे,
दिल-ए-नादाँ की बातें!
मैं खुद में हो गया आधा,
कि तेरी याद आती है।
कभी रहती थी पलकों पे,
हुस्न-ए-नूर बनकर तुम!
वही बनके तूँ फिर आजा,
कि तेरी याद आती है।
समय बदला, फिजा बदली,
अभी ये दिल नही बदला!
समय के साथ तूँ बदली,
कि तेरी याद आती है।
सोचता हूँ समेटूँगा,
तेरी यादों…
Added by Pawan Kumar on August 21, 2014 at 3:30pm — 20 Comments
प्रिय मोहन तेरे द्वार खड़ी मैं,
कबसे से रही पुकार!
कान्हा मुझको शरण में ले लो,
विनती बारम्बार।
मैं तो अज्ञानी, अभिलाशी,
तेरे दरश की प्यारे!
जीवन पार लगा दो मेरा,
बस मन यही पुकारे।
खुशियों से भर दो ये झोली,
ओ मेरे साँवरिया!
तेरे पीछे दौड़ी आऊँ,
बन के मैं बाँवरिया।
मोह रहे हैं मन को मेरे,
श्याम तेरे ये नयना!
दिन में सुकून ना पाऊँ तुम बिन,
रात मिले ना चैना।
मुझ अबला को सबला कर दो,
जग…
Added by Pawan Kumar on August 19, 2014 at 1:14pm — 8 Comments
आकाश में उड़ने की चाह लिये
कल्पना रूपी पंखों को फैलाने की कोशिश करता हूँ
पर
अक्सर नाकाम होता हूँ
उस ऊँची उड़ान में,
फिर भी आस लगाये रहता हूँ
कि कभी तो वो पर निकलेंगे
जो मुझे ले जायेंगे
मेरे लक्ष्य की ओर,
और अनवरत ही
बढता जाता हूँ
अथक प्रयास करते हुए
सुनहरे ख्वाब की ओर अग्रसर करने वाले पथ पर।…
Added by Pawan Kumar on August 13, 2014 at 12:30pm — 8 Comments
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