वजीरे आला आप भारी विरोध के चलते धैर्य रख इतने समय से शासन कर रहे है । आपके अधिकाँश मंत्रियों पर घोटाले सहित कई प्रकार के आरोप लग रहे है । कई मंत्रियों को तो स्तीफा भी देना पड़ा है । यहाँ तक की कई मामलो में तो न्यायालय ने भी तल्ख़ टिप्पणियाँ तक की है । तिरस्कार पूर्ण वचन बहुत दारुण होता है । यह कहते हुए युवराज ने राजनीति के गुर सीखने हेतु जिज्ञासा प्रकट करते हुए पूछा- फिर भी आप यह सब सहन कारते हुए मौन एवं धैर्य रख कैसे शासन कर रहे है ?
वजीरे आला यह सब सुनकर कुछ देर मौन रहे ।…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 28, 2013 at 7:00pm — 17 Comments
मधुशाला खुलती गयी, विद्यालय के पास,
आजादी जब से मिली, ऐसा हुआ विकास |
ऐसा हुआ विकास, मिले शराब के ठेके
आय करे सरकार, नेता रोटियाँ सेकें
शिक्षा पर हो ध्यान, उन्नत हो पाठशाला
शिक्षालय के पास, हो न कोई मधुशाला |
(२)
रंगत बदले मनुज अब, गिरगिट भी शर्माय
गिरगिट पुनर्जन्म धरे, नेता बनकर आय |
नेता बनकर आय, क्षमता और बढ़ जावे
पेटू बनकर खाय, खाकर डकार न लावे
ईश्वर करे सहाय, पाये न इनकी संगत,
सूझे न…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 5, 2013 at 3:00pm — 24 Comments
धन की खटिया छोड़ दे, मोह नहीं रख पास
तन मन चंगा रख सके, मन में भरे मिठास |
समय मौत ग्राहक कभी, आ टपके अनजान
इन्तजार करना नहीं, इनकी फिदरत जान |
मात पिता स्व यौवन का,सदा करे सम्मान,
जाने पर फिर ना मिले,सहजे रखकर ध्यान |
छोडो चिंता अतीत की, चिंतन में हो आज,
समय व्यर्थ गँवाय नहीं, झट निपटावे काज |
उत्तम संग संगीत का, संत संग हो बात,
दोस्त बने सह्रदय के, दुनिया को दे मात |
विद्या…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2013 at 1:30pm — 19 Comments
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