भारत प्यारा वतन हमारा सबसे सुन्दर न्यारा देश
Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 15, 2012 at 11:30am — 9 Comments
एक ‘कवि’ जब खिन्न हुआ तो बीबी से ‘वो’ अकड़ा
कमर कसा ‘बीबी’ ने भी शुरू हुआ था झगडा
कितनी मेहनत मै करता हूँ दिन भर ‘चौपाये’ सा
करूँ कमाई सुनूं बॉस की रोता-गाता-आता
सब्जी का थैला लटकाए आटे में रंग आता…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 12, 2012 at 7:15am — 4 Comments
कान्हा कृष्णा मुरली मनोहर आओ प्यारे आओ
व्रत ले शुभ सब -नैना तरसें और नहीं तरसाओ
जाल –जंजाल- काल सब काटे बन्दी गृह में आओ…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 10, 2012 at 8:00am — 10 Comments
"कील चुभी वो नहीं विलग "
वे कहते हैं सब भूल गये
हम कहते कुछ भी याद नहीं
कारण मैंने भी किया वही
जो उसने पिछले साल किये
अब उसके भी एक आगे है
मेरे भी पीछे बाँध दिए !!
रस्में पूर्ण समाज…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 7, 2012 at 1:02am — 19 Comments
अरे गुलामी छोड़ो यारों
हरित-क्रांति कर के कुछ पा लो
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तुम गरीब हो भूखे प्यासे
लिए कटोरा घूम रहे
दो टुकड़ों की खातिर दिल को
छलनी अपनी करवाते
इज्जत मान प्रतिष्ठा अपनी
घूँट -घूँट विष पी जाते
अरे गुलामी छोड़ो यारों
हरित-क्रांति कर के कुछ पा लो
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पेट भरे -ना-हुयी पढाई
'आदिम मानव' जग हुयी हंसाई
पीछे…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 2, 2012 at 12:00am — 6 Comments
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