राजू ! हाँ यही तो नाम था उस बच्चे का जिससे मैं मिली थी कुछ वर्षो पहले । अक्सर उसे अख़बार बाँटते हुए देखा था । बारह -तेरह वर्ष का बच्चा । गाड़ियों के पीछे भागता , सिग्नल होने पर गाड़ियों के कांच से अखवार ख़रीदने की गुहार करता । उसके साथ एक बच्ची शायद उसीकी बहन थी । कई बार सोचती थी रुक कर उससे बात करूँ । मासूम सा चहरा ,अपनी बहन का हाथ थामकर ही सड़क पार करता था ।
एक दिन उसी रास्ते से गुज़र रही थी पर वो लड़का नहीं दिखा । उसकी बहन के हाथों में अखबार थे । गाड़ी से उतर कर मैंने उसको अपने पास बुलाया ।…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 30, 2016 at 3:30pm — 8 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 29, 2016 at 10:18am — 8 Comments
यह 1980-81 की बात है । मैं दसवी क्लास में थी । स्कूल का आखरी टूर था । पता चला कि नेपाल जाना था । स्कूल के टूर साल में दो बार होते थे गर्मी और विंटर की छुट्टियों में । दिसम्बर में जाना तय हुआ था । प्रिंसिपल सर ने घोषणा की कि दिल्ली , आगरा , पटना , गया से समस्तीपुर होते हुए नेपाल जाना होगा । हम क्लास में आपस में बाते करने लगे थे । अपने अपने मनसूबों के साथ हम में एक उत्साह था । यह स्कूल का आखरी टूर था । हम सब जल्द ही बिछड़ने वाले थे । मेरे मन में था मैं भी जाऊं । पर कैसे ?? एक नोटिस मिलता था ।…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 25, 2016 at 7:00am — 9 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 22, 2016 at 9:23pm — 8 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 15, 2016 at 6:22pm — 1 Comment
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 12, 2016 at 3:30pm — 4 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 10, 2016 at 2:32pm — 4 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2016 at 2:59pm — 7 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 6, 2016 at 11:00am — 3 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 5, 2016 at 5:46pm — 8 Comments
" तुमसे कुछ भी कहना बेकार है । तुम कभी नहीं सुधर सकते । जाने कितनी बार जेल जा चुके हो , हर बार कहते हो बस यह आखरी चोरी है , फिर वही करने लग जाते हो । तुम्हारे पीछे तुम्हारे परिवार वालों को जो परेशानियाँ होती है , तुमने कभी इस और ध्यान ही नहीं दिया ......।"रमेश अपने दोस्त को कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था पर वह दोस्त तो !!!
"बन्द करो अपनी शिक्षा दिक्षा नहीं सुनना तुमसे कोई भाषण । मेरी मर्ज़ी जो चाहूँ करूँ । बचपन से करते आया हूँ । घर में किसीने नहीं रोका अब यह मेरी बेरी बीवी जब से आई है…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 4, 2016 at 3:30pm — 11 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 3, 2016 at 7:00am — 1 Comment
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 1, 2016 at 2:30pm — 7 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |