2122 1212 112 /22
डर के यूँ ज़िन्दगी बची तो क्या
और अगर बच नहीं सकी तो क्या
देख क्या आदमी ही जीता है ?
आदमी में है आदमी तो क्या
जब कहे को नही समझते हैं
रह गई बात अनकही तो क्या
भूख आदाब कब समझती है
बे अदब थोड़ी हो गयी तो क्या
जारी फिर चाँद ने किया फतवा
बे असर चाँदनी रही तो क्या
फूल पत्तों में आज खुशियाँ हैं
जड़ अँधेरों से है घिरी तो क्या
दुन्दुभी…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on August 20, 2015 at 9:56am — 20 Comments
2122 2122 212
आप सीमायें अगर लांघें नहीं
बाड़ हम भी आपकी फांदें नहीं
वो समर के वास्ते तैयार हैं
हाथ मेरे आप यूँ बांधें नहीं
हक़ हलाली की कोई रोटी दिखा
भीख से जी कर तो यूँ नाचें नहीं
शेर बन के सामने आजा कभी
गीदड़ों सी पीठ पर घातें नहीं
चैन खातिर दिन तरसता रह गया
नींद वाली थीं कभी रातें नहीं
दिल पढ़ें , नज़रें पढ़ें , आँसू पढ़ें
अस्लिहा के बाब यूँ बांचें नहीं
अस्लिहा – हथियारों , बाब – अध्याय
आप…
Added by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 8:30am — 18 Comments
2122 2122 2122
आप रो देंगे बहुत संभावना है
अब हृदय में आपका आना मना है
अब क्षितिज पर फिर उजाला दिख सकेगा
यों, अँधेरा इस पहर काफी घना है
…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 7:53am — 25 Comments
1222 1222 1222 1222
*******************************************
बहुत की कोशिशें मैने गमों के पार जाने की
मुझे फिर घेर लेतीं हैं वही खुशियाँ जमाने की
अगर सच है, तो वो सच है ,कभी कह भी दिया कोई
जरूरत क्या पड़ी थी आपको यूँ तिलमिलाने की
यक़ीं हो तो यक़ीं रखना नहीं तो बेयक़ीनी रख
तेरी आदत गलत लगती है मुझको, आजमाने की
अँधेरा इस क़दर हावी न हो पाता किसी आंगन
रही होती अगर चाहत दिये हर घर जलाने…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on August 5, 2015 at 2:16pm — 23 Comments
221 2121 1221 212 ( आ. दुष्यंत कुमार की ज़मीन पर )
( अच्छा हुआ कि सर पे कोई छत नही रही )
********************************************************
जब से किसी के कोई भी चाहत नहीं रही
तब से किसी से कोई शिकायत नहीं रही
फिर जोश कह रहा है कि टकरा जा संग से
पर होश ये कहे है , वो ताकत नहीं रही
मेरी ही कोशिशों में कमी कुछ तो थी ज़रूर
मै क्यूँ कहूँ कि वो मेरी क़िस्मत नहीं रही
बाती के साथ तेल लिये घूमता हूँ,…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on August 4, 2015 at 2:53pm — 24 Comments
2017
2016
2015
2014
2013
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |