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Noorain Ansari's Blog – September 2010 Archive (1)

ग़ज़ल- हकीक़त ज़िन्दगी की.

काँटों की रंजिश फूलों से निकाला ना कीजिये.

किसी बेगुनाह पे कीचड़ उछाला ना कीजिये.



किस्मत में लिखा अँधेरा, तो अँधेरा ही मिलेगा,

घर किसी और का जला के उज्जाला ना कीजिये.



दूसरों से मुहब्बत की, उम्मीद करना है जायज,

मगर नफरत अपने सिने में भी पाला ना कीजिये.



इंसानियत से बढ़ कर कोई भी मजहब नहीं होता,

मजहब से कभी इंसानियत को खंगाला ना कीजिये.



भूखी है सारी दुनिया प्रेम और अपनापन की,

होंठों पे मीठे बोल खातिर ताला ना… Continue

Added by Noorain Ansari on September 30, 2010 at 3:23pm — 1 Comment

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