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मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा,
निगाहों से तुम भी नशा कीजियेगा ।
सफ़र दिल से दिल तक लगे जब भी मुश्किल ,
दुआओं की फिर तुम दवा कीजियेगा ।
नज़र ज़ुल्फ़ों पे गर टिकें ग़ैरों की तो,
यूँ आँखों में नफ़रत अदा कीजियेगा ।
मुझे सोच हों चश्म नम तो समझना,
ये जज़्बात अपने अता कीजियेगा ।
ये है इल्तिज़ा मर भी जाऊँ तो इतनी,
ख़ुदा से न तुम ये गिला कीजियेगा ।
मेरी आरज़ू बंदगी तुम…
ContinueAdded by Harash Mahajan on September 16, 2020 at 12:00pm — 5 Comments
2122 1122 1122 22
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यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा,
आख़िरी ज़ोर मुहब्बत ने लगाया होगा ।
याद कर कर के वो तोड़ी हुई क़समें अपनी,
आज अश्कों के समंदर में नहाया होगा ।
ज़िक्र जब मेरी ज़फ़ाओं का किया होगा कहीं,
ख़ुद को उस भीड़ में तन्हा ही तो पाया होगा ।
दर्द अपनी ही अना का भी सहा होगा बहुत,
फिर से जब दिल में नया बीज लगाया होगा ।
जब दिया आस का बुझने लगा होगा उसने,
फिर…
Added by Harash Mahajan on September 12, 2020 at 6:00pm — 12 Comments
2122 1122 1122 22(112)
जाने क्यूँ आज है औरत की ये औरत दुश्मन,
पास दौलत है तो उसकी है ये दौलत दुश्मन ।
दोस्त इस दौर के दुश्मन से भी बदतर क्यूँ हैं,
देख होती है मुहब्बत की हकीकत दुश्मन ।
माँग लो जितनी ख़ुदा से भी ये ख़ुशियाँ लेकिन,
हँसते-हँसते भी हो जाती है ये जन्नत दुश्मन ।
मैं बदल सकता था हाथों की लकीरों को मगर,
यूँ न होती वो अगर मेरी मसर्रत दुश्मन ।
ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर जहॉं,
'हर्ष' हो…
Added by Harash Mahajan on September 8, 2020 at 11:00pm — 11 Comments
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