काफिया : आएँ , रदीफ़: क्या
२१२२ २१२२ २१२
पाक आतंकी कभी बाज़ आएँ क्या
बारहा दुश्मन से’ धोखा खाएँ क्या ?
गोलियाँ खाते ज़माने हो गये
राइफल बन्दुक से’ हम घबराएँ क्या ?
जान न्योछावर शहीदों ने की’ जब
सरहदों को हम मिटाते जाएँ क्या ?
सर्जिकल तो फिल्म की झलकी ही’ थी
फिल्म पूरा अब मियाँ दिखलाएँ क्या ?
आपका विश्वास अब मुझ पर नहीं
अनकही बातें जो’ हैं बतलाएँ क्या ?
खो दिया…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on September 23, 2017 at 9:53am — 7 Comments
काफिया : आये ; रदीफ़ :न बने
बहर : ११२२-| ११२२ ११२२ २२/११२
२१२२}
तंज़ सुनना तो’ विवशता है’, सुनाये न बने
दर्द दिल का न दिखे और दिखाए न बने |
पाक से हम करे’ क्या बात बिना कुछ मतलब
क्यों करे श्रम जहाँ’ की बात बनाए न बने |
क्या कहूँ उनके’ हुनर की, है’ अनोखा अनजान
यही’ तारीफ़ कि हमको न सताए न बने |
कर्म इंसान का’ हो ठीक सितारा जैसा
कर्म काला किया’ तो चेहरा’ दिखाए न बने…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on September 20, 2017 at 8:10am — 13 Comments
दीप रिश्तों का' बुझाया जो', जला भी न सकूँ
प्रेम की आग की’ ये ज्योत बुझा भी न सकूँ |
हो गया जग को’ पता, तेरे’ मे’रे नेह खबर
राज़ को और ये’ पर्दे में’ छिपा भी न सकूँ |
गीत गाना तो’ मैं’ अब छोड़ दिया ऐ’ सनम
गुनगुनाकर भी’ ये’ आवाज़, सुना भी न सकूँ |
वक्त ने ही किया’ चोट और हुआ जख्मी मे’रे’ दिल
जख्म ऐसे किसी’ को भी मैं’ दिखा भी न सकूँ |
बेरहम है मे’रे’ तक़दीर, प्रिया को लिया’…
Added by Kalipad Prasad Mandal on September 17, 2017 at 8:57pm — 11 Comments
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