शुभ्र चाँदनी ने था दुलराया
हरसिंगार फूला नहीं समाया
*****
तिर गया मदहोश हो
चमन की सुंदर हथेली पर
छुप कर खेलता आँखमिचौली
जान देता निशा की सहेली पर
सुंदरी ने जूड़े में सजाया
हरसिंगार फूला नहीं समाया
*****
खिल गया कपोलों पे
रजत कणों की कर्पूरी आभा लिए
वसुधा को करने सुगंधित
रूप अपना सादा लिए
भोर ने वृक्ष को धीरे से हिलाया
हरसिंगार फूला नहीं समाया
*****
बिछ गया बेसुध हो
मन में असीमित नेह…
Added by kalpna mishra bajpai on September 29, 2015 at 6:30pm — 6 Comments
तुम और कॉफी दोनों का साथ
कब होगा मेरे साथ ?
तुम्हारे घर का बगीचा
पात-पात शांत
बर्फ की ओढनी ओढ़े
मुकुलित कालिका लजाती
सोखती स्वर्ण-आभा
चोटी पर तिरती सूर्य-किरणें
खुशबू के गुंफन ने छुआ मुझे
लगा कि तुमने उढ़ाया हो,शॉल गुनगुना सा
आवृत्तियों ने मुझे घेरा
याद आने लगे वो दिन जब तुम
बैठे रहते थे बिल्कुल सामने मेरे
और तुम्हारी मूँगे जैसी आँखों में
छल्क पड़ती थी मैं बार-बार
और…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on September 23, 2015 at 7:30pm — 8 Comments
1)
लगी कहन माँ देवकी….सुनलो तारनहार
सफल कोख मेरी करो…..मानूँगी उपकार
मानूँगी उपकार ……. रहूँ ममता में भूली
हृदय भरें उद्गार…...भावना जाये झूली
स्वारथ हो ये जन्म...जाऊँ बन तेरी सगी
हे करुणा के धाम,लगन मनसा ये लगी॥
***************************************
2)
कारा गृह में अवतरित......दीनबंधु भगवान
मातु-पिता हर्षित हुए, लख शिशु की मुस्कान
लख शिशु की मुस्कान, व्यथा बिसरी तत्क्षण…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on September 7, 2015 at 8:00pm — 10 Comments
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