1)
लगी कहन माँ देवकी….सुनलो तारनहार
सफल कोख मेरी करो…..मानूँगी उपकार
मानूँगी उपकार ……. रहूँ ममता में भूली
हृदय भरें उद्गार…...भावना जाये झूली
स्वारथ हो ये जन्म...जाऊँ बन तेरी सगी
हे करुणा के धाम,लगन मनसा ये लगी॥
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2)
कारा गृह में अवतरित......दीनबंधु भगवान
मातु-पिता हर्षित हुए, लख शिशु की मुस्कान
लख शिशु की मुस्कान, व्यथा बिसरी तत्क्षण ही
बही हृदय रस धार ...देव ने किया वरण भी
देव तुल्य वसुदेव ...... देवकी उनकी दारा
गोद विराजे श्याम .. लगी मनभावन कारा
3)
ताले टूटे जेल के............... सोये पहरेदार
उमगा मन वसुदेव का, आया जगताधार
आया जगताधार .......सो गई सारी नगरी
चली पवन झकझोर...छाई चहूँ दिश बदरी
गई कंस लों खबर …….पड़े प्राणों के लाले
भूला सब सुख चैन ,अकल पे पड़ गए ताले
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4)यमुना उमगी ज़ोर से ,छूने को हरि पाँव
जगत नियंता हँस रहे ….शेषनाग की छाँव
शेषनाग की छाँव...... पिता को धीरज देते
हुई सिथिल जल धार ,सांस राहत की लेते
तात हुये गंभीर ....जोश मन बड़ा सौ गुना
हुये सहायक देव ......शेष जा बैठा यमुना ॥
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मौलिक व अप्रकाशित
कल्पना मिश्रा बाजपेई
Comment
बहुत बहुत आभार सौरभ जी आपका
//’तेरी सगी’ के ’री सगी’, ’ये लगी’ और ’सौ इन के स्थान पर किन शब्दो का प्रयोग किया जाए और किस तरह .......... बताने की कृपा कीजिएगा //
इन तीन पंक्तियों के अलावा जिस तरह से आपने अन्य पंक्तियों का अंत किया है और रोला छन्द के विधान का निर्वहन किया है, आदरणीया कल्पनाजी.
शुभ-शुभ
आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर आप का सुझाव मेरे लिए बहुत ही हितकर है मैं पूरी कोशिश करुगी सार गर्वित लिखने की ।
’तेरी सगी’ के ’री सगी’, ’ये लगी’ और ’सौ इन के स्थान पर किन शब्दो का प्रयोग किया जाए और किस तरह .......... बताने की कृपा कीजिएगा /सादर
रचना पसंद करने के लिए आप सभी माननीय जनों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ /सादर
आदरणीय सौरभ जी के विचारों से सहमत . शिल्प को समझने पर कविता और निखरेगी
आपकेप्रयासों के लिए हार्दिक धन्यवाद और बधाइयाँ आदरणीया. मनभावन भाव शाब्दिक हुए हैं !
शब्दो के प्रयोग में यह रचना आंचलिकता को छूती चलती है. यह भक्ति भाव से उपजी आत्मीयता के कारण हो सकता है
शिल्प स्तर पर यही कहना है कि रोला का पदांत रगण (गुरु-लघु-गुरु) से नहीं होता. आपने ’तेरी सगी’ के ’री सगी’, ’ये लगी’ और ’सौ गुना’ का प्रयोग कर ऐसा होने दिया है.
प्रयास केलिए हार्दिक धन्यवाद
सुंदर कुण्डलिया की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीया।
आदरणीय kalpna mishra bajpai जी बेहद खूबसूरत कुंडलिया छंद जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में पेश हुए हैं आज आपकी कलम से....बहुत बहुत बधाईइ...!! सादर !!
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