"अतुकांत"
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गली के मोड़ पर जब दिखती
वो पागल लडकी
हंसती
मुस्कुराती
कुछ गाती सकुचाती,
फिर तेज कदमो
से चल
गुजर जाती
चलता रहा था क्रम
अभ्यास में उतर आई
उसकी अदाएं
हँसा गईं कई बार कई बार
सोचने पर
विवश
विधाता ने सब दिया
रूप नख-शिख
दिमाग दिया होता थोडा
और सहूर
जीवन के फर्ज निभाने का,
वय कम न थी
मगर आज...........
दिखी न वो…
ContinueAdded by Chhaya Shukla on September 22, 2014 at 10:18am — 27 Comments
गीत
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“है मधुर जीवंत बेला”
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नैन में सपने पले हैं अब नहीँ हूँ मैँ अकेला ।
फिर जहां मुस्कान लाया, है मधुर जीवन्त बेला |
झूठ झंझट जग के सारे , हैं सभी तो ये हमारे ,
दीप आशा के जले हैं नेह से सारे सजाये
सत्य का निर्माण होगा, फिर सजेगा एक मेला ||
फिर जहाँ मुस्कान लाया, है मधुर जीवंत बेला..............
स्वप्न भी पूरे करूँ मैं, इस जगत को घर बना के,
और खुशियों से सजा…
ContinueAdded by Chhaya Shukla on September 21, 2014 at 3:48pm — 9 Comments
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