Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2016 at 12:00am — 2 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 23, 2016 at 12:14am — 8 Comments
बहरे हज़ज़ मुसम्मन मक्बुज.....
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212
सरे निगाह शाम से ये क्या नया ठहर गया
ये कौन सीं हैं मंजिलें ये क्या गज़ब है आरजू
जिसे सँभाल कर रखा वही समा बिखर गया
अभी है वक़्त बेवफा अभी हवा भी तेज है
अभी यहीं जो साथ था वो हमनवा किधर गया
ये वादियाँ ये बस्तियाँ ये महफ़िलें ये रहगुजर
हज़ार गम गले पड़े…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 12, 2016 at 9:53pm — 8 Comments
2212 2212 2212
ढलती सुहानी शाम है आ जाइये
हर सू तुम्हारा नाम है आ जाइये
ये वादियाँ ये खुश्बुएं हैरान हैं
हर फूल पे इल्जाम है आ जाइये
कैसी चुभन है ये दिले नासाज़ की
दिल टूटना तो आम है आ जाइये
उजड़ा हुआ है मुद्दतों से आशियाँ
सूनी तभी से बाम है आ जाइये
नासूर बन जो रूह पे आयद हुआ
उस ज़ख्म का पैगाम है आ जाइये
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
©बृजेश कुमार 'ब्रज'
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 2, 2016 at 3:00pm — 14 Comments
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