Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 30, 2017 at 8:39pm — 7 Comments
सभी पंक्तियों का मात्रा भार
2122 2122 2122 212 के क्रम में
गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर
वेदना में याचना के
शब्द गीले हो गए
यातना के काफिलों से
पथ सजीले हो गए
आँसुओं की बेबसी में
दर्द की मनुहार पर
गीत क्रंदन कर उठे हैं
भावना के द्वार पर
आदमी में आदमी सा
क्या बचा है सोचिये?
पीर क्या है मुफलिसों की?
ये कभी तो पूछिये
हो रही फाकाकशी हर
तीज पर त्यौहार पर
गीत क्रंदन कर उठे…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 19, 2017 at 1:00pm — 16 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 8, 2017 at 7:00pm — 18 Comments
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