मेरा खूने-क़ल्ब कबतक यूँ ही बार-बार होगा
कभी वो घड़ी भी आए जो तुझे भी प्यार होगा
दिलेसरनिगूं में कब तक पशेमानियाँ रहेंगी
तेरी हाँ का मुझको कब तक यूँ ही इंतेज़ार होगा
मेरी आशिक़ी पे कब तक यूँ ही तुहमतें लगेंगी
तेरे हाथ इश्क़ कब तक यूँ ही दाग़दार होगा
करूँ भी तो मैं करूँ क्या कोई दाफ़िया नहीं है
तेरा ज़िक्र जब भी होगा दिल बेक़रार होगा
पसेशाम अपने घर को जो मैं जाऊं फिरसे वापिस
वही इन्दिहाम होगा वही…
ContinueAdded by राज़ नवादवी on October 10, 2016 at 10:08pm — 4 Comments
जो है दिल को शिकायत न हो ज़ेरेफुगाँ क्यों
न हो कहने का हक़ कुछ तो देते हो जुबां क्यों
मेरी खानाख़राबी सुबूतेआशिक़ी है
जो हो मजनूं तुम्हारा हो उसका आशियाँ क्यों
यूँ कारेआशिक़ी से है आती बू-ए-साज़िश
अदू जो हैं हमारे वो तेरे पासबाँ क्यों
मकीनेदिलबिरिश्ता-ओ-दश्तेगमनशीं था
वफ़ातेकैस पे फिर न हो ख़ुश गुलसितां क्यों
जो मुझसे निस्बतों की सभी बातें हैं झूठीं
सुनाते हो मुझे तुम तुम्हारी दास्ताँ…
ContinueAdded by राज़ नवादवी on October 7, 2016 at 10:09pm — 10 Comments
है ख़ुदी जब तक बनी खुद्दारियाँ जातीं नहीं
हो अना जब सामने दुश्वारियां जातीं नहीं
मुश्किलें हैं कोह की मानिंद गिर्दोपेश में
ज़िंदगी की ज़िल्लतोलाचारियाँ जातीं नहीं
हूँ फसां मैं रोज़गारी फ़िक्र के गिर्दाब में
सख्त हैं हालात जिम्मेदारियाँ जातीं नहीं
दिल हुआ मजरूह जिसकी इक नज़र से उम्र भर
उस फ़ुसूनेनाज़ की आजारियाँ जातीं नहीं
वो नहीं मुझको मिला सौगात लेकिन दे गया
खू-ए-सोज़िश हो गई गमख्वारियाँ जातीं…
Added by राज़ नवादवी on October 4, 2016 at 5:50pm — 10 Comments
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