सुरेश को घर में आता देख बच्चे फ़ौरन उनके पास आगये और थैले को देखने लगे ,वो बाज़ार से जो सामान लेकर आए थे
उनमें उनके पटाखे भी थे |
बच्चे पटाखे देख कर बोले " यह क्या पापा आप तो सिर्फ़ फुलझड़ी ,अनार और चरखी ही लाए हैं , आवाज़ वाले बम ,और
रॉकेट वग़ैरा नहीं लाए "
सुरेश ने जवाब में कहा " दीपावली रोशनी का त्योहार है ,इसमें सिर्फ़ रोशनी करनी चाहिए "
बच्चे फिर बोले " हर तरफ से पटाखों की आवाज़ें आ रही हैं , कितना अच्छा लग रहा है ,दूसरे बच्चे चिढ़ाएगे कि हमारे…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on October 31, 2016 at 9:30am — 9 Comments
फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन
आँखों आँखों में जादूगरी हो गयी |
उसका मैं हो गया वह मेरी हो गयी |
उनकाअहसास महफ़िल में उसदम हुआ
यक बयक जब वहाँ रोशनी हो गयी |
फ़ायदा तो उठाएगा इस का जहाँ
आपसी प्यार में गर कमी हो गयी |
कोई अपनी कमी को नहीं देखता
क़ौल सबका है दुनिया बुरी हो गयी|
आगये वक़्तेआख़िर इयादत को वह
पूरी ख्वाहिश मेरी आख़िरी हो गयी |
वक़्त आया है जिस दिन से मेरा…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on October 27, 2016 at 9:30pm — 8 Comments
फाइलातुन-मफाइलुन-फइलुन
कमसिनी में शबाब पहने हुए |
हुस्न निकला निक़ाब पहने हुए |
तुहमते बेवफ़ाई का कब से
हम हैं बैठे खिताब पहने हुए |
कौन आया है चीखी तारीकी
बज़्म में माहताब पहने हुए |
आँख में इंतज़ार दिल में तड़प
मैं हूँ यह इंक़लाब पहने हुए|
मत यक़ीं करना उसपे आया है
जो वफ़ा का हिजाब पहने हुए |
सामना अस्ल का ज़रूरी है
क्यूँ हैं आँखों में ख्वाब पहने हुए…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2016 at 8:30pm — 17 Comments
ग़ज़ल ( शुरुआते मुहब्बत हो गयी )
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(फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन- फाइलुन )
यक बयक मुझ पर सितमगर की इनायत हो गयी ।
ऐसा लगता है शुरुआते मुहब्बत हो गयी ।
की वफ़ा गैरों से अहदे इश्क़ अपनों से किया
जानेमन यह तो अमानत में खयानत हो गयी ।
यह नतीजा तो अज़ीज़ों पर यक़ी करने का है
यूँ नहीं पैदा सनम के दिल में नफरत हो गयी ।
दिल की अब कीमत कहाँ है हुस्न के बाजार…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on October 3, 2016 at 8:58pm — 16 Comments
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