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Ram shiromani pathak's Blog – October 2014 Archive (1)

क्षणिकाएँ (राम शिरोमणि पाठक)

१-कहा था मैंने

क़र्ज़ न ले उससे

मुफलिशी बेशर्म है

कपडे उतार लेती है

२-वो फिर से चला ढूँढने

दो रोटी

बजबजाते कूड़े के ढेर में

३-नदी के किनारे वाला पेड़

आज प्यास से मर गया

४-मैं मोम था

शायद इसीलिए

धूप में बैठा गयीं मुझे

५-मैं तुमसे हाँथ जरूर मिलाऊंगा

मेरा कद मुकम्मल हो जाने दो

६-मुझे पाने की अजीब हवस है उन्हें

रेत में गिरा आँसू हूँ

फिर भी ढूँढ़ रही हैं



७-तुझे भी…

Continue

Added by ram shiromani pathak on October 12, 2014 at 11:59am — 6 Comments

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