बच्चन पूछे केबीसी में , रट लो शायद काम आए।
अमीरों की नई सूची बनेगी, शायद तेरा नाम आए॥
प्याज के संग जो रोटी खाये, गरीब नहीं कहलाएंगे।
तैंतीस रुपये कमाने वाले,…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 23, 2013 at 3:30pm — 15 Comments
सार्थक दशहरा
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धर्म की विजय हुई त्रेता में, राम ने मारा रावण को।
उसकी याद में हमने भी, हर साल जलाया रावण को॥
कलियुग में मायावी रावण, रूप बदलकर आता है।
वो भ्रष्टाचारी, अत्याचारी, अनाचारी कहलाता है॥
अधर्मी रावण का पुतला, हर बरस जलाया जाता है।
कई रूप में अंदर बैठा रावण, हँसता है, मुस्काता है॥
अपने अंदर के रावण को ,…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 14, 2013 at 9:00am — 16 Comments
बड़े साहब थे बड़े मूड में, भृत्य भेजकर मुझे बुलाये।
छुट्टी का दिन व्यर्थ न जाये, आओ इसे रंगीन बनायें॥
आज के दिन जो मिले नहीं, उस चीज का नाम बताये।
और बोले कहीं से जुगाड़ करो, फिर…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 2, 2013 at 12:30am — 13 Comments
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