ये जो पुराना दरख्त है
इससे बहुत पुराना संबंध है
पंक्षी भी अब रात गुजारने नहीं आते
आते हैं कुछ देर ठहर के चले जाते
इसे अब पानी भी अब कोई नहीं देता
अब तो इसकी कोई छांव भी नहीं लेता
बड़ी रौनक थी आँगन मे इसकी
बड़ी चमक थी चेहरे पे इसकी
बूढ़ा दरख्त इसे याद करके काँप गया ...
इक थरथर्राहट सी करी ....
और शांत हो गया
ये जो पुराना दरख्त है ...
इससे बहुत पुराना संबंध हैं .... ।
"मौलिक…
ContinueAdded by Amod Kumar Srivastava on October 24, 2013 at 6:30am — 12 Comments
कुछ सपने केवल सपने ही रह जाते हैं
बिना पूरे हुये, बिना हकीकत हुये
और हमे वो ही अच्छे लगते हैं
अधूरे सपने, बिना अपने हुये
हम जी लेते हैं
उसी अधूरेपन को
उसी खालीपन को
सपने की चाहत में
जानते हुये भी ....
सपने तो सपने हैं
सपने कहाँ अपने हैं
यथार्थ को छोड़कर
परिस्थिति से मुह मोड़कर
हम जीते हैं सपने में
सपने हम रोज देखते हैं
कुछ ही सपनो को हम जीते हैं
बाकी सपने सपने ही रह…
ContinueAdded by Amod Kumar Srivastava on October 22, 2013 at 7:00pm — 10 Comments
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